गोपालगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: जिले के बैकुंठपुर प्रखण्ड में गंडक नदी के निचले हिस्से में 18 जून को बाढ़ का पानी प्रवेश करने के बाद सातवें दिन भी गुरुवार को तबाही बरकरार रही। गंडक नदी में आई उफान से बैकुंठपुर के 15 गांवों बाढ़ से प्रभावित हो गए थे। इनमें 11 गांवों से बाढ़ का पानी पूरी तरह उतर गया है। चार गांव अभी भी टापू के समान दिख रहे हैं।
सर्वाधिक लो-लैंड में बसे शीतलपुर, पकहां, प्यारेपुर व आशा खैरा में अभी भी जलजमाव की स्थिति है। लोगों के घरों से भले ही बाढ़ का पानी निकल गया है। लेकिन चारों तरफ से बाढ़ के पानी से घिरे लोग अभी बाहर निकलने की स्थिति में नहीं हैं। इन गांवों से तटबंध तक जाने के लिए ग्रामीणों को अभी भी नाव का ही सहारा लेना पड़ रहा है।
घर से तटबंध तक पैदल जाना खतरे से खाली नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि कई जगहों पर तीन फीट तक बाढ़ का पानी अभी बह रहा है। ऐसे में प्रखंड मुख्यालय से उनका संपर्क अभी भी बंद है। हालांकि अधिकारियों की माने तो बाढ़ का पानी नीचे उतर चुका है। लेकिन वाटर लॉगिंग के कारण गांव में जलजमाव अभी भी बरकरार है। जल निकासी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण करीब तीन सौ बाढ़ पीड़ित परिवारों को अभी भी समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है।
गंडक नदी के निचले हिस्से में बसे इन गांवों के हजारों की आबादी प्रति वर्ष बाढ़ से प्रभावित होती है। बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि यह पहला मौका है। जब मानसून शुरू होने के साथ ही उन्हें विस्थापित होना पड़ा है। सत्तरघाट जमीदारी बांध के समीप फिर एप्रोच रोड काटने की प्रशासनिक स्तर पर तैयारी चल रही है।
सीओ अरविंद कुमार गुप्ता ने बताया कि सीतलपुर एवं पकहां गांवों में बाढ़ का पानी अभी भी तीन से चार फीट तक बह रहा है। जल निकासी गांवों से नहीं होने की स्थिति में ग्रामीणों की मांग पर जिला प्रशासन ने सत्तरघाट एप्रोच रोड को जमींदारी बांध के निकट फिर काटने का निर्णय लिया है। गुरुवार की रात एप्रोच रोड काटकर जल निकासी कराया जाएगा। गम्हारी पंचायत के दोनों गांवों में जलजमाव को लेकर ग्रामीणों को सातवें दिन भी बाढ़ की समस्या से निजात नहीं मिल सकी है।
जलजमाव की वजह से बीमारी की बढ़ रही आशंका
बैकुंठपुर । व्हीएसआरएस संवाददाता: प्रखंड के सीतलपुर, पकहां, आशा खैरा, प्यारेपुर गांवों में बाढ़ का पानी अभी भी जमा रहने के कारण संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ती जा रही है। बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि मेडिकल टीम इन गांवों में अभी तक कीटनाशक दवाओं का छिड़काव नहीं करा पाई है। जिससे मौसमी बीमारियां पांव पसार सकती है। 11 गांवों में बाढ़ का पानी पूरी तरह उतर गया है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच के लिए नहीं पहुंच पा रही है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल प्रत्येक गांवों में मेडिकल कैंप लगाकर बाढ़ पीड़ितों का समुचित इलाज कराने की गुहार लगाई है।
मवेशियों को नहीं मिल रहा हरा चारा
बैकुंठपुर । व्हीएसआरएस संवाददाता :प्रखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों में जलजमाव के कारण मवेशियों का बुरा हाल है। चारा नहीं मिल पाने की स्थिति में मवेशी भूख से बिलबिला रहे हैं। पशुपालकों ने बताया कि बखार में रखे गए भूसा बाढ़ के पानी में भीग कर सड़क गए हैं। हरा चारा भी मवेशियों को जलजमाव के कारण नहीं मिल पा रहा है। घरों के आसपास तथा गंडक नदी के तटवर्ती इलाकों में अभी भी बाढ़ का पानी बह रहा है। जिससे चारे की व्यवस्था पशुओं के लिए नहीं हो पा रही है। कई पशुपालक ऊंचे दर पर भूसा खरीद कर बेजुबान प्राणियों की जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। पशुपालकों ने जिला प्रशासन से बाढ़ राहत के रूप में पशु चारा भी मुहैया कराने की गुहार लगाई है।
ढाई सौ बाढ़ पीड़ित परिवार अपने घर लौटे
बैकुंठपुर । व्हीएसआरएस संवाददाता: प्रखंड में पिछले 48 घंटे के दौरान ढाई सौ से अधिक बाढ़ पीड़ित परिवार अपने घर लौट गए हैं। महारानी, हथीयाही, बहरामपुर, बंधौली, उसरी दियारा, सलेमपुर सहित अन्य गांवों में बाढ़ का पानी उतरने के बाद बाढ़ पीड़ित अपने घर लौट रहे हैं। बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि घर लौटने के बाद तबाही और बर्बादी की स्थिति सामने दिख रही है। घर में रखे सामान नहीं बच पाए हैं। भोजन के लाले पड़ गए हैं। लकड़ी तक की व्यवस्था घर में नहीं है। ऐसे में दो वक्त की रोटी बाढ़ पीड़ितों के लिए गंभीर समस्या बन कर रह गई है