पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) फिरौती और धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता रविंद्र बारटे पिछले पांच से छह महीने से फरार हैं। पुणे पुलिस ने उसके 13 साथियों के साथ बारटे सहित 11 लोगों को भी गिरफ्तार किया है। राज्य के बड़े नेताओं की संदिग्ध जमीन के लेन-देन को सबसे आगे लाने वाले बराटे पर जमीन के लेनदेन में धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बाद फरार होना पड़ा। पिछले कुछ महीनों में पुणे के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में आरटीआई कार्यकर्ता रवींद्र बराटे के खिलाफ अवैध ऋण,वित्तीय धोखाधड़ी,जबरन वसूली और धमकी के 12 मामले दर्ज किए गए हैं। वह पिछले छह महीने से फरार है। पुणे के कोथरुड पुलिस स्टेशन में पहला मामला दर्ज होने के बाद बराटे फरार हो गया। बाद में पुलिस ने बराटे के घर पर छापा मारा और छापे के दौरान सैकड़ों फाइलें मिलीं। इन फाइलों में राजनेता,बिल्डर,होटल व्यवसायी शामिल हैं।
रवींद्र बराटे के नाम पर 3,500 करोड़ रुपये की संपत्ति: पुलिस
रवींद्र बराटे ने सूचना का अधिकार अधिनियम का इस्तेमाल राजनेताओं,व्यापारियों और समाज के अन्य गणमान्य लोगों से जानकारी निकालने के लिए किया। वह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मीडिया को यह जानकारी देते थे। उसकी जानकारी के आधार पर कुछ लोगों पर मुकदमा भी चलाया गया। हालांकि पुलिस ने कहा कि वह लोगों को धोखा देने के लिए एक आरटीआई कार्यकर्ता होने की छवि का दुरुपयोग कर रहा था और कई लोगों को फिरौती के लिए धमकी देता था। जब पुलिस ने उनके घर पर छापा मारा तो उनके पास 3,500 करोड़ रुपये के दस्तावेज मिले। पुलिस ने 3,500 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त करने के लिए अदालत से अनुमति मांगी है।
पुणे में कई जमींन के माले उजागर
पिछले कुछ वर्षों में रवींद्र बराटे राज्य में बड़े नेताओं के भूमि सौदों को सबसे आगे लाने के लिए जाना जाता है। चाहे वो पुणे के येरवडा इलाके में रामोशी वतन की ज़मींन का मामला हो या गोखले नगर इलाके में वन विभाग की ज़मींन का मामला हो या फिर किसी बुजुर्ग दंपत्ति को धोखा देने और ग्यारह एकड़ ज़मींन हड़पने वाले शिक्षा सम्राट का मामला हो। रवींद्र बराटे के कारण ये मामले न केवल सामने आए बल्कि करोड़ों रुपये के भूमि सौदे भी रद्द करने पड़े। इस सौदे के पीछे राजनीतिक लोग बड़ी मुश्किल में थे। तो क्या अब वे नेता बराटे के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं और बिल का भुगतान कर रहे हैं? ऐसा सवाल भी पूछा जा रहा है।