पिंपरी | व्हीएसआरएस न्यूज: पिंपरी चिंचवड महानगरपालिका में नए और चौंकाने वाले घोटाले का पर्दाफाश पिंपरी विधानसभा के राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक अण्णा बनसोडे ने किया है। अधिकारी और ठेकेदारों के फेविकोल जोड से नकली एफडीआर को जमा कराके करोडों का टेंडर कम दर में लेकर पालिका तिजोरी में डकैती डालने का काम हो रहा है। यह बात संज्ञान में आते ही अण्णा बनसोडे ने एक पत्र पालिका आयुक्त श्रावण हर्डीकर को लिखा और इस मामले की जांच करने की मांग की। साथ ही जो भी ठेकेदार फर्जी एफडीआर को टेंडर हथियाने के लिए जमा कराया हो उसे तत्काल ब्लैकलिस्ट करने की मांग की,साथ ही संबंधित अधिकारी जिसने फर्जी एफडीआर का सत्यापन न करके ठेकेदार को टेंडर दिलाने में मदद की उस पर कडी कार्रवाई की जानी चाहिए।
आओ बताते हैं कि पालिका में नया फर्जीवाडा क्या है?और अण्णा बनसोडे ने कैसे उजागर किया? पालिका में टेंडर भरते समय ठेकेदार को पीएसडी(पर्फोर्मंस सिक्योरिटी डिपॉजिट) के रुप में दिए जाने वाले एफडीआर जिसे फिक्स डिपॉजिट रिसीट कहते हैं इसमें फर्जीवाडा होने की अशंका है। विधायक बनसोडे के पास इस बात की भी जानकारी है कि शहर में फर्जी एफडीआर बनाने वाले गिरोह सक्रिय है। कई फर्जी एफडीआर ठेकदारों ने टेंडर हथियाने में इस्तेमाल किया है।
अण्णा बनसोडे ने आयुक्त से मांग की है कि पिछले 3 सालों के जारी टेंडर में 11% कम दर भरने वाले ऐसे सभी ठेकदारों के पीएसडी के रुप में दिए गए एफडीआर की जांच की जाए। जांच के बाद कई ठेकेदारों के फर्जी एफडीआर जमा होने का खुलासा होगा। जिसके पीछे करोडों रुपये का घोटाला सामने आएगा। ठेकेदार और अधिकारियों की मिलिभगत से शहर में ऐसे रैकेट सक्रिय है जो फर्जी एफडीआर बनाकर पालिका को चूना लगा रहे है। आपको बताते चलें कि पालिका में विभिन्न कार्यों के लिए कई स्पर्धात्मक टेंडर निकाले जाते है। ठेकेदार इसमें हिस्सा लेते है। ठेका पाने के लिए अधिकारियों के मार्गदर्शन में हर वो हथकंडे अपनाते है चाहे वो सही हो या गलत। मतलब 20,25,30 प्रतिशत कम दरों में टेंडर भरकर ठेका लेते है। घाटे के दर को भरने के बाद ठेकेदार घाटा की पूर्ति करने के लिए घटिया क्वालिटी का काम करते हैं। कमीशन खोर,खबूगिर अधिकारी घटिया काम को ओके करते है। आनन फानन में बिल निकाला जाता है और कमिशन का बंदरबांट होता है। कभी कभी तो नेताओं को पकडकर उपसूचना के माध्यम से मटेरियल के दाम बढने का हवाला देकर वृद्धि रकम को स्थायी समिति से मंजूर करके पालिका को लूटने का काम होता है। एडीआर की बडी रकम होने से ठेकेदार फर्जी एफडीआर का सहारा लेता है। इसी चौंकाने वाले फर्जीवाडा को विधायक बनसोडे ने पर्दाफाश किया है। अगर सही मायने में जांच हो जाए तो मछली नहीं मगरमच्छ जाल में फंस जाएंगे।