पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) मावल शिवसेना के सांसद श्रीरंग बारणे ने जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट के जेएनपीटी टर्मिनल कंटेनर निजीकरण प्रस्ताव को तत्काल रद्द करने की मांग की है। सांसद बारणे ने मंत्रियों को भी बताया कि श्रमिक निजीकरण के घोर विरोधी हैं और आंदोलन कर रहे हैं। सांसद बारणे ने केंद्रीय जहाजरानी मंत्री मनसुख मांडविया सेे दिल्ली मिले। बैठक में जेएनपीटी के कार्यकर्ता प्रतिनिधि दिनेश पाटिल,भूषण पाटिल,रवि पाटिल,दिनेश घरत और एलजी म्हात्रे उपस्थित थे।
जेएनपीटी भारत का नंबर एक पोर्ट कंटेनर
भारत सरकार कंटेनर टर्मिनल के निजीकरण का प्रस्ताव कर रही है। कर्मचारियों की संख्या को कम करने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस योजना) लागू की जा रही है। जेएनपीटी भारत का नंबर एक पोर्ट कंटेनर है। देश में अधिकांश कंटेनर यातायात जेएनपीटी पोर्ट के माध्यम से है। इस बंदरगाह से भारत सरकार को सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है। इसके बावजूद सरकार 30 साल से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की तर्ज पर जेएनपीटी कंटेनर टर्मिनल का संचालन कर रही है। जब तक मंत्रियों के साथ बैठक नहीं होती। उस समय तक 8 अक्टूबर 2020 को जेएनपीटी बोर्ड की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया था कि पीपीपी प्रस्ताव नहीं लाया जाएगा। श्रमिकों ने कंटेनर टर्मिनल के निजीकरण के सरकार के फैसले के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था।
30 वर्ष के लिए पीपीपी तर्ज पर मंजूरी
बारणे ने पत्र में कहा कि मैंने कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया है कि मंत्रियों के साथ बैठक करके एक समाधान निकाला जाएगा। इसके बावजूद 24 दिसंबर 2020 को बोर्ड की बैठक हुई। इसने बिना किसी वोट के निजीकरण का प्रस्ताव पारित किया। जेएनपीटी कंटेनर टर्मिनल को 30 वर्षों के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) की तर्ज पर संचालित करने की मंजूरी दी गई है। बैठक में श्रमिक प्रतिनिधियों ने प्रस्ताव पर वोट की मांग की। लेकिन उनकी मांग खारिज कर दी गई। अवैध निजीकरण का एक प्रस्ताव पारित किया गया है। निजीकरण ने कई श्रमिकों के लिए रोजगार की समस्याएं पैदा की हैं। स्थानीय नागरिकों में इसे लेकर नाराजगी है। अक्सर बड़े पैमाने पर आंदोलन होते हैं। इसलिए श्रमिकों के हित में पीपीपी के तहत कंटेनर टर्मिनल के निजीकरण के प्रस्ताव को रद्द करना चाहिए ऐसी मांग श्रीरंग बारणे ने की।