दिल्ली|व्हीएसआरएस न्यूज: इस साल वरुथिनी एकादशी व्रत 4 मई दिन शनिवार को है| वरुथिनी एकादशी पर 3 योग इंद्र योग, वैधृति योग और त्रिपुष्कर योग बन रहे हैं| वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को ही वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है| इस दिन भगवान विष्णु के अलावा उनके वराह स्वरूप की पूजा के समय वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा जरूर सुनते हैं| इसके बिना व्रत पूरा नहीं माना जाता है| काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा के बारे में|
वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा
एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से वैशाख कृष्ण एकादशी के व्रत विधि और महत्व के बारे में विस्तार से बताने को कहा| इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि इस एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जानते हैं| इस एकादशी का व्रत विधि विधान से करने पर सभी प्रकार के सुख, सौभाग्य और पुण्य मिलता है, पाप मिटते हैं| वरुथिनी एकादशी की कथा कुछ इस प्रकार से है|
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा मांधाता नर्मदा नदी के तट पर बसे अपने राज्य पर शासन करते थे| वे धार्मिक व्यक्ति थे, पूजा, पाठ, धर्म, कर्म में उनका मन लगता था| वे एक दिन जंगल में गए और वहां तपस्या करने लगे| वे तप में लीन थे, कुछ समय बीतने पर एक भालू आया और उन पर हमला कर दिया|
भालू उनका पैर पकड़कर घसीटने लगा| उन्होंने अपनी ओर से कोई विरोध नहीं किया और तप में लीन रहे, शांत बने रहे| उन्होंने श्रीहरि विष्णु से प्राणों की रक्षा के लिए प्रार्थना की| इस बीच भालू उनको घसीटकर जंगल के काफी अंदर लेकर चला गया| इसी बीच भगवान विष्णु वहां पर प्रकट हुए और उन्होंने अपने चक्र से उस भालू का गला काटकर राजा मांधाता के प्राण बचाए|
भालू के हमले में उनका एक पैर खराब हो गया| भालू उसे चबा गया था| यह देखकर राजा मांधाता दुखी हो गए| तब श्रीहरि ने कहा कि तुमने पिछले जन्म में जो कर्म किए थे, उसका ही यह परिणाम है| तुम वरुथिनी एकादशी का व्रत वैशाख के कृष्ण पक्ष की एकादशी को करना| यह व्रत मथुरा में करना और विष्णु के वराह स्वरूप की पूजा करना| उस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुमको नया शरीर प्राप्त होगा|
श्रीहरि के आदेश अनुसार, वरुथिनी एकादशी के दिन राजा मांधाता मथुरा पहुंचे और विधि विधान से व्रत रखा| भगवान वराह की पूजा की| रात्रि जागरण करके अगले दिन पारण किया| इस व्रत के प्रभाव से राजा मांधाता को नया शरीर प्राप्त हुआ| उनको सभी प्रकार के सुख मिले| जीवन के अंत में उनको स्वर्ग की प्राप्ति हुई| जो व्यक्ति वरूथिनी एकादशी का व्रत रखता है, उसके पाप मिटते हैं और राजा मांधाता के समान सुख प्राप्त करता है|
वरुथिनी एकादशी 2024 मुहूर्त और पारण समय
वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ: 3 मई, रात 11:24 पीएम से
वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि का समापन: 4 मई, रात 08:38 पीएम पर
त्रिपुष्कर योग: 08:38 पीएम से रात 10:07 पीएम तक
शुभ-उत्तम मुहूर्त: 07:18 एएम से 08:58 एएम तक
पारण समय: 5 मई, रविवार, 05:37 एएम से 08:17 एएम तक