ब्राह्मणों को एकजुट होने का किया आह्वान
गोपालगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: गोपालगंज के अलग-अलग जगहों पर भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती धूम धाम से मनाई गई। इस दौरान भगवान परशुराम की वीरता और त्याग की गाथा का बखान करते हुए उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की चर्चा की गई। वहीं जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।
कुचायकोट प्रखंड के भठवा स्थित नया टोला स्थित पीतांबरा पीठ में अखिल भारतीय विप्र फाउंडेशन के बैनर तले ब्राह्मणों ने भगवान परशुराम की जयंती मनाई। कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष मुकेश पाण्डेय न दीप जलाकर किया।
धूमधाम से मनाई गई भगवान परशुराम की जयंती
इस दौरान उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किया कर नमन किया गया। जबकि करमैनी गांव में अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा द्वारा भी भगवान परशुराम की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस दौरान काफी संख्या में ब्राह्मण समाज के लोग शामिल हुए।
जबकि शहर के निजी मैरेज हॉल में ब्राह्मण समाज के लोगो ने भगवान परशुराम के कृतित्व और व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए उनका भव्य जन्मोत्सव मनाया गया। कार्यक्रम के तहत सभाओं में भगवान परशुराम का गुणगान किया गया। ब्राह्माणों ने भगवान परशुराम का विधिवत पूजा अर्चन कर उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लिया।
बनारस से आए आचार्य ने किया कथावाचन
बता दें की भगवान परशुराम का जन्म वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को हुआ था। इस दिन अक्षय तृतीया भी मनाई जाती है। अक्षय तृतीया के दिन जन्म लेने के कारण भगवान परशुराम की शक्ति की क्षति नहीं होती थी। परशुराम जयंती की शुरुआत शंखनाद से की गई। वहीं बनारस से आए आचार्य ने मंगलाचरण व स्वस्तिवाचन किया।
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार थे महर्षि वेदव्यास, राजा बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, ऋषि मार्कडेय सहित उन आठ अमर किरदारों में उनकी गिनती होती है, जिन्हें कलयुग तक अमर माना जाता है। भगवान परशुराम के बचपन का नाम राम भी माना जाता है।
मांस-मदिरा और नशा से रहे दूर
वक्ताओं ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को समाज के लिए काम करना चाहिए। भगवान परशुराम के पद चिह्नों में चलते हुए मांस-मदिरा व नशा से कोसों दूर रहें। समाज के लोगों से आह्वान किया कि प्रत्येक व्यक्ति गरीबों की मदद करे। कार्यक्रम में ब्राह्मण समाज के एकजुट होने का भी आह्वान किया गया।
कहा कि आज के समय में जब ब्राह्मण समाज कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, तब यह आवश्यक है कि सभी ब्राह्मण एकजुट होकर अपनी ताकत का प्रदर्शन करें। वक्ताओं ने कहा कि भगवान परशुराम ब्राह्मण थे, लेकिन उनमें गुण क्षत्रियों वाले थे।
ब्राह्मण होने के बाद भी परशुराम में इतना क्रोध था कि उनका नाम परशुराम पड़ा। धार्मिक मान्यताओं व हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार धरती पर राजा द्वारा अन्याय, अधर्म और पाप कर्मों का विनाश करने के लिए भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार लिया था।