गया| व्हीएसआरएस न्यूज: आज शुक्रवार को तिब्बत, वियतनाम और चीन के बौद्ध भिक्षुओं से लेकर इन देशों के बोधगया में रहने वाले आम श्रद्धालुओं ने नए साल लोसर का जश्न बुद्धभूमि पर हर्षोल्लास के साथ शुक्रवार को मनाया। लोसर पर्व को लेकर तिब्बत, चीन और वियतनाम मंदिर व मोनास्ट्री की आकर्षक सजावट की गई है। सुबह में प्राचीन तिब्बत मंदिर में प्रभारी लामा अमजी के नेतृत्व में पूजा-अर्चना की विधिवत शुरुआत की गई।
इस बारे मे लामा अमजी ने बताया कि आज से हमलोगों का नया साल शुरू हो गया। साल के पहले दिन सभी प्रकार के विघ्न को नाश करने के लिए तंत्र की देवी श्री महाकाली की पूजा-अर्चना की गई। इन्हें तिब्बत में रक्षक देवी के नाम से जाना जाता है। इसी क्रम में नेचुंग देवता की भी पूजा की गई। इसमें लगभग तीन सौ लोग शामिल हुए। पूजा का आयोजन पावन दलाई लामा के आसन के समीप किया गया। उनके आसन पर बौद्ध लामाओं और श्रद्धालुओं ने विशेष प्रकार के श्रद्धा का सूचक वस्त्र खादा चढ़ाया। उसके बाद विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर भी पूजा-अर्चना की गयी। इसमें बोधगया स्थित विभिन्न बौद्ध माेनास्ट्री के आमंत्रित भिक्षुओं की भी सहभागिता रही।
तिब्बत मंदिर में किया गया संघदान
पूजा-अर्चना के बाद तिब्बत मंदिर में सभी को संघदान यानि भोजनदान दिया गया। उन्होंने कहा कि नववर्ष का जश्न तीन दिनों तक मनाया जाता है। देश के विभिन्न प्रदेशों में स्थित मोनास्ट्री में नृत्य, संगीत और प्रतियोगिता का आयोजन कराया जाता है। नववर्ष के जश्न का समापन रविवार को धूपदान के साथ किया जाएगा। लोसर पर्व के मद्देनजर बोधगया के पर्यटन मौसम का आकर्षण का केंद्र माने जाने वाले तिब्बती व्यवसायियों का मार्केट भी बंद रहा। सभी तिब्बती व्यवसायी भी लोसर की पूजा में शामिल हुए। 17 वें करमापा का तेरगर मोनास्ट्री में लामाओं ने लोसर का जश्न मनाया।
वहीं, महाबोधि मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में वियतनामी बौद्ध भिक्षुओं ने पूजा-अर्चना कर नववर्ष का स्वागत किया। चाइना मंदिर में भिक्षुओं व श्रद्धालुओं के नहीं रहने के कारण केवल मंदिर को भव्य तरीके से साज-सज्जा किया गया।