पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे जिले के पुरंदर तहसील के एक गाँव में रीता कुंभार को एक जाति पंचायत द्वारा निष्कासित कर दिया गया और एक लाख रुपये,पाँच बोतल शराब और पाँच बकरे का जुर्माना लगाया गया। इस मामले के दोषियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही जाति पंचायतों जैसी घटनाएं आज भी समाज में हो रही हैं। यह मुद्दा आगामी सत्र में उठाया जाएगा और अब राज्य सरकार को राज्य के कई हिस्सों में जाति-विरोधी पंचायत अभियान शुरू करना चाहिए। ऐसी मांग विधान परिषद के प्रवीण दरेकर ने की।
सामाजिक बहिष्कार अधिनियम 2016 में पेश किया गया था। फिर भी ऐसी घटनाएं अभी भी हो रही हैं और ये घटनाएं सामाजिक और एकता के लिए एक झटका हैं। एक ओर सरकार की भूमिका जाति आधारित परिसर के नाम बदलने के लिए है, जो एक प्रगतिशील महाराष्ट्र के रूप में ढोल बजा रहा है। इस बीच ऐसी चीजें होती हैं। इसलिए इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। उस पृष्ठभूमि के खिलाफ मैं आज ग्रामीण अधीक्षक से मिला हूं।
उन्होंने कहा कि इस घटना पर उनके साथ विस्तार से चर्चा हुई है और जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। लेकिन अभी भी समाज में जाति पंचायतों के माध्यम से ऐसा हो रहा है। उस पृष्ठभूमि के खिलाफ जो कानून 2016 में राज्य सरकार द्वारा लाया गया है। उन परिवर्तनों के बारे में समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए एक राज्यव्यापी अभियान को लागू करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि वह आने वाले सम्मेलन में इस मुद्दे को उठाएंगे।