पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड मनपा में सत्ताधारी भाजपा अपने असंतुष्ट नगरसेवकों को लुभाने के लिए प्रयास कर रही है। स्थायी समिति में अधिकतम सदस्यों को मौका देने के लिए भाजपा ने एक साल की सदस्यता नीति पर फिर से विचार करना शुरू कर दिया है। बीजेपी ने स्थायी समिति के छह सदस्यों के इस्तीफे की शुरुआत कर दी है। जिन्होंने एक साल पूरा कर लिया है और छह अन्य सदस्यों को मौका दे रहे हैं। भाजपा के सूत्रों ने कहा कि चुनाव के बाद छह सदस्य इस्तीफा दे सकते हैं। इसलिए अगले साल स्थायी समिति में भाजपा के सभी दस सदस्य नए होंगे। नगर निकाय समितियों में स्थायी समिति को सबसे शक्तिशाली समिति माना जाता है।
स्थायी समिति के माध्यम से सभी वित्तीय मामलों का फैसला किया जाता है। इसलिए जो लोग इस समिति पर हावी हैं,वे नगरपालिका के वित्तीय मामलों में प्रमुख हैं। पालिका एक स्थायी समिति द्वारा संचालित किया जाता है। स्थायी समिति में 16 सदस्य होते हैं और उन्हें पार्टी की तुलनात्मक शक्ति के अनुसार नियुक्त किया जाता है। स्थायी समिति पर भाजपा का निर्विवाद वर्चस्व है और 10 भाजपा,4 राकांपा,1 शिवसेना और 1 निर्दलीय है। फरवरी 2017 में हुए आम चुनावों में पालिका में एकतरफा सत्ता में आयी भाजपा ने स्थायी समिति में अब तक 55 नगरसेवकों को मौका दिया। हर साल दस को पांच साल और एक को स्वतंत्र। तदनुसार पहले वर्ष में ड्रॉ से बचे सदस्यों सहित सभी 10 स्थायी सदस्यों और 11 निर्दलीय उम्मीदवारों ने इस्तीफा दे दिया। हालाँकि, दूसरे वर्ष में यह नीति बदल गई। अब अपने पांच साल के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में भाजपा फिर से इस्तीफा लेनेे पर विचार कर रही है।
भाजपा के नगरसेवक इस बात से नाराज हैं कि उन्हें पिछले चार वर्षों में महत्वपूर्ण पद नहीं मिले हैं। कुछ लोग एनसीपी के संपर्क में भी हैं। भाजपा चुनावों के दौरान नगरसेवकों की नाराजगी का विस्फोट न हो इस पर विशेष ध्यान रख रही है। इसके लिए पिछले वर्ष में अधिक से अधिक नगरसेवकों को एम विटामिन देने के लिए स्थायी समिति में भेजने का प्रयास किया जा रहा है। पार्टी में इन दिनों उथलपुथल मचा है। बैठक में शहर प्रभारी विधायक माधुरी मिसल ने भाग लिया। स्थायी समिति के अध्यक्ष संतोष लोंढे,सदस्य आरती चौंधे,शीतल शिंदे और राजेंद्र लांडे का दो साल का कार्यकाल 28 फरवरी को समाप्त हो रहा है। बीजेपी के शशिकांत कदम,अंबरनाथ कांबले,संतोष कांबले,अभिषेक बारणे,सुवर्णा बधे और भीमाबाई फुगे के पास एक साल बाकी है। अगर भाजपा ने अधिक नगरसेवकों को मौका देने का फैसला किया तो इन छह को इस्तीफा देना होगा। स्थायी समिति में उनका एक वर्ष का कार्यकाल अभी बाकी है।