पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड मनपा के स्थायी समिति सभापति अॅड नितिन लांडगे और स्वीय सहायक ज्ञानेश्वर पिंगले समेत 4 पालिका कर्माचारियों को कोर्ट ने 2 दिन तक पुलिस रिमांड पर भेजने का आदेश सुनाया। आज सुबह तडके 4 बजे तक सभी के घरों में एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम की छापेमारी की कार्रवाई चलती रही। कल बुधवार को पालिका में एसीबी ने सभापति नितनि लांडगे के कार्यालय में छापा मारकर स्वीय सहायक पिंगले को एक ठेकेदार से 1.18 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। स्थायी समिति कार्यालय के ड्रावर में रखे 8.50 लाख की नगदी एसीबी ने जब्त की थी। सभी को रात में पिंपरी पुलिस थाने के सलाखों में कैद रखा गया। आज कोर्ट में पेश किया गया जहां 2 दिन तक पुलिस रिमांड पर भेजा गया।
क्या है पूरा मामला
शिकायतकर्ता एक ठेकेदार है। उसका व्यवसाय पालिका की जगह पर होडिर्ंग्स लगाना है। 28 टेंडर मंजूर हुआ था लेकिन स्थायी समिति की ओर से उसका वर्कऑर्डर पैसे नहीं मिलने से लटका करके रखा गया। वर्कऑर्ड देने के बदले सभापति लांडगे और पिंगले ने 10 लाख रुपये की मांग की थी।आखिरकार 6 लाख रुपये देने की बात तय हुई। जिसके बाद पहली किश्त 1.18 हजार रुपये लेते हुए एसीबी ने स्वीय सहायक ज्ञानेश्वर पिंगले,क्लर्क विजय चावरिया,संगणक चालक राजेंद्र शिंदे,चपरासी अरविंद कांबले को धरदबोचा।
7 बडे नगरसेवक रडार पर
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सभापति ने एसीबी के सामने 6-7 बडे नगरसेवकों के नाम बताए हैं जो रिश्वत कांड में शामिल है। इसके अलावा स्थायी समिति के सभी 16 नगरसेवक भी रडार पर हैं। सभापति नितिन लांडगे भाजपा विधायक महेश लांडगे के करीबी समर्थक माने जाते है। इसीलिए लांडगे को विधायक महेश लांडगे ने स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाया था। अब जब एसीबी की रेड में नितिन लांडगे गिरफ्तार हुए हैं तो इस पर विधायक महेश लांडगे चुप्पी साधी हुई है। महत्वपूर्ण बात यह है कि विधायक महेश लांडगे की ओर से अभी तक कोई अधिकृत बयान जारी नहीं हुआ है।
भाजपा ने जांच समिति गठित की
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने पूर्व विधायक माधुरी मिसाल के नेतृत्व में एक समिति गठित की है जो इस रिश्वतकांड प्रकरण की जांच करेगी। चंद्रकांत पाटिल ने कहा है कि सत्ता का दुरुपयोग करके हमारे भाजपा जनप्रतिनिधी को सोची समझी साजिश के तहत झूठे आरोपों में फंसाने की कोशिश की जा रही है। न्याय व्यवस्था पर हमारा विश्वास है,जल्द ही सच्चाई सामने आएगी।
कर्मचारी निलंबित,सभापति को 6 साल तक चुनावी प्रतिबंध नियम
शहर में चर्चा है कि गिरफ्तार सभापति नितिन लांडगे का पद रहेगा या जाएगा? भाजपा इस पर क्या भूमिका अपनाती है। कानून विशेषज्ञों की इस पर क्या राय है और आयुक्त राजेश पाटिल सभापति पद पर तथा अपने पालिका के चार कर्मचारियों पर क्या निर्णय लेते है। जानकारों की माने तो पालिका के चारों कर्मचारी तत्काल प्रभाव से निलंबित हुए है। सभापति नितिन लांडगे के बारे में पालिका आयुक्त अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए एक प्रस्ताव कल 20 अगस्त की महासभा में लाकर अयोग्य घोषित करके सभापति पद और नगरसेवक पद दोनों से बर्खास्तगी कर सकते हैं। लेकिन आयुक्त को महासभा से पारित प्रस्ताव को राज्य सरकार के पास भेजकर अंतिम मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। तब तक रिहा होने के बाद नितीन लांडगे चाहे तो अपने पद पर बैठकर काम कर सकते हैं। राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद नितीन लांडगे को अयोग्य घोषित करते हुए 6 साल तक कोई भी चुनाव लडने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो नितीन लांडगे का 6 साल नहीं 10 साल का राजनीतिक वनवास होगा। दूसरा विकल्प नितिन लांडगे के सामने यह बचता है कि वो स्वयं नगरसेवक और सभापति पद से त्यागपत्र दे दें। ऐसा होने पर विभागीय आयुक्त इस पद के लिए दोबारा चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरु कर सकती है। फिर देखना होगा कि विधायक महेश लांडगे अपने कौन से समर्थक को इस सभापति पद पर बैठाने का काम करते है।