Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र के दो प्रमुख शहरों मुंबई-पुणे के बीच 1 जून 1930 को ‘डेक्कन क्वीन’ गाडी का शुभारंभ ग्रेट इंडियन पेननसुला रेलवे जो बाद में मध्य रेल बनी,के इतिहास में एक बडी उपलब्धि थी। इस क्षेत्र के दो प्रमुख शहरो को सेवाएं प्रदान करने के लिए मध्य रेल पर शुरू की गई यह पहली डीलक्स गाडी थी तथा इसे पुणे के नाम से जाना जाने लगा। इस गाडी को ‘क्वीन ऑफ डेक्कन’ (दख्खन की रानी) भी कहा जाता है। आरंभ मे,इस गाडी को 7 डिब्बों के दो रैको के साथ चलाया गया जिनमें से एक रेक को स्कारलेट मोलडिंग सहित सिलवर कलर में पेंट किया गया था तथा दूसरे रेक को गोल्ड लाइनों के साथ रॉयल ब्ल्यू कलर में पेंट किया गया था। मूल रेकों के डिब्बो के अंदर फ्रेम्स का निर्माण इंग्लैंड मे किया गया था जबकि डिब्बो का निर्माण जीआईपी रेलवे के मांटुगा कारखाने में किया गया था।
डेक्कन क्वीन में शुरूआती दौर में केवल प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी के डिब्बे लगाए गए थे। प्रथम श्रेणी के डिब्बे 1 जनवरी 1949 को हटाए गए तथा द्वितीय श्रेणी के डिब्बों को प्रथम श्रेणी के रूप में पुन: डिजाईन किया गया जिन्हें जून 1955 तक चलाया गया बाद मे इस गाडी में पहली बार तृतीय श्रेणी के डिब्बे लगाए गए। इन डिब्बों को अप्रैल 1974 से आगे द्वितीय श्रेणी के रूप मे पुन: डिजाईन किया गया। मूल रेको के डिब्बो को इंटिग्रल कोच फैक्टरी, पेरांबुर द्वारा निर्मित एंटी टेलीस्कोपिक स्टील बॉडीड इंटिग्रल कोचों द्वारा 1966 मे बदला गया। आरामदेह यात्रा तथा आंतरिक फर्निशिंग और फिटिंग मे सुधार के लिए बोगियों के उन्न्त डिजाईन हेतु इन डिब्बो को शामिल किया गया। अतिरिक्त स्थान उपलब्ध कराने के लिए डिब्बो की संख्या 7 से बढ़ाकर 12 की गई। पिछले कुछ वर्षो में इस गाडी में लगाए जाने वाले डिब्बों की संख्या 17 डिब्बों के मौजूदा स्तर तक लाई गई।
इस गाडी के शुरू होने से लेकर अब तक यात्रियों को आरामदेह यात्रा के लिए सुविधाऍं उपलब्ध कराने के अलावा यह गाडी भारत में पहली बार रोलर बेयरिंग वाले डिब्बों की शुरूआत,110 वोल्ट प्रणाली सहित एंड ऑन जनरेशन डिब्बों के स्थान पर सेल्फ जनरेटिड डिब्बे लगाना तथा यात्रियों के लिए अधिक स्थान उपलब्ध कराने के लिए प्रथम तथा द्वितीय श्रेणी कुर्सीयान की शुरूआत जैसे कई सुधार कार्यो की गवाह रही है। खिडकी के उपर लाल रंग की पट्टी सहित क्रीम और आक्सफोई ब्ल्यू कलर की विशिष्ट रंग संगति इस गाडी के लिए हाल ही में अपनाई गई है। बेहतर सुख-सुविधाओं,आरमदेह यात्रा के सुधारित मानकों तथा गुणवत्तपूर्ण सेवा के लिए यात्रियों की बढती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए डेक्कन क्वीन को पूरी तरह से नया रूप देना आवश्यक समझा गया।
इस गाडी के रेक को निम्नलिखित विशेषताओं के साथ 1995 में बदला गया:-
* पूर्णत: नव निर्मित या लगभग एक वर्ष पुराने एयर ब्रेक डिब्बे।
* पुराने रेक के 5 प्रथम श्रेणी कुर्सीयानों को 5 एसी कुर्सीयानों द्वारा बदला गया है जिससे धूलमुक्त वातावरण वाले 65 अतिरिक्त स्थान उपलब्ध हुए है। पुराने डिब्बों की तुलना में द्वितीय श्रेणी के 9 कुर्सीयान में अतिरिक्त 120 सीटें उपलब्ध हुई है। इस प्रकार पुराने रेक मे उपलब्ध 1232 सीटों की तुलना में नए रेक में 1417 सीटें उपलब्ध हुई है जो कि 15% अधिक है।
* भोजनयान में 32 यात्रियों के लिए टेबल सर्विस उपलब्ध है तथा इस भोजनयान के माइक्रोवेव ओवन, डीप फ्रीजर और टोस्टर जैसी आधुनिक सुविधांए मौजूद है। इस भोजनयान को कुशन वाली कुर्सीयों तथा कारपेट के साथ सुसज्जित किया गया है।
डेक्कन क्वीन (दख्खन की रानी) का इतिहास अक्षरश: दो शहरों का इतिहास बयां करता है। डेक्कन क्वीन के समय पर प्रस्थान और आगमन के कारण दोनों शहरों के यात्री काफी खुश है। इस गाडी के पिछले 93 वर्षो के शानदार इतिहास के कारण यह गाडी दो शहरों के बीच परिवहन का एकमात्र माध्यम बन गई है।
एलएचबी कोच
मध्य रेल ने 12123/12124 डेक्कन क्वीन के सभी कन्वेंशनल कोचों को दिनाँक 22.6.2022 से मुंबई से तथा 23.6 2022 से पुणे एलएचबी कोचों में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है।
परिवर्तित कम्पोजीशन
4 एसी चेयर कार,1 विस्टाडोम कोच, 8 सेकेंड क्लास चेयर कार,1 जनरल सेकेंड क्लास सह गार्ड ब्रेक वान एवं जनरेटर कार।
ऐसी जानकारी श्री रामपाल बडपग्गा (जनसंपर्क विभाग,मध्य रेल,पुणे मंडल) ने एक प्रेस विज्ञाप्ति में दी।