पिंपरी । व्हीएसआरएस न्यूज़ : उगते सूर्य को अर्घ्य देकर शनिवार को छठ पूजा संपन्न हो गई है। छठ व्रतियों का चार दिवसीय पूजा व्रत कठोर साधाना के साथ सूर्य एवं छठ मैया से अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना के साथ समापन। देश के विभिन्न शहरों में सूर्य को अर्घ्य दिया गया। महिलाओं ने छठी मइया और सूर्य भगवान से अपनी संतानों,पति,परिवार खेत खलिहान व समाज की समृद्धि की मंगलकामना की। इसके बाद उन्होंने अपने व्रत का पारायण किया। इस दौरान विभिन्न शहरों मे व्रतियों ने बीते दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया एवं लोकगीत से छठ मैया की आराधना की।
कई राज्य सरकारों ने भक्तों के भावनाओं का सनातन आस्था का सम्मान किया जिसका व्रतियों ने स्वागत किया। झारखंड के रांची, बिहार के पटना और उत्तर प्रदेश के लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर में बड़ी संख्या में व्रति आज चार दिवसीय छठ पूजा के समापन के दिन नदी घाटों पर महिलाओं ने लोक परंपरागत पूजा अर्चना की। इस दौरान लोग कोविड-19 के दिशानिर्देशों को पालन करते हुए दिखाई दिए । उत्तर भारत में जहां एकओर के कई शहरों में नदी पोखर व तलाबो पर भक्तों ने अपनी सनातन परंपरा को निभाया वही कई शहरों के घाटों पर सन्नाटा रहा।कोरोना के पृष्ठभूमि में कई शहरों में व्रतियों को घाटो पर जाने से रोक दिया गया था। इसी कड़ी में महाराष्ट्र मे छठ व्रती महिलाओं के मन घोर निराशा दिखाई दिया।
शासन प्रशासन ने सागर नदी तलाबो व सार्वजनिक स्थान पर पूजा न मानाने का निर्देश दे दिया जिससे रोज़ी रोटी के के लिए आये लोगों के सामने छठपूजा कहा मनाये व कहाँ सूर्य को अर्घ्य दे ये बड़ा सवाल खड़ा हो गया । प्रकृति को गोद नदी तटों पर होनी वाली लोकआस्था के महापर्व को व्रतियों ने जहां भी संभव हो सका सरकारी आदेशों का पालन किया व अपने ही घर में छठ मैया का विधि विधान से पूजन किए व घर में जलकुंड बना उदीयमान सूर्य को ऋतुफल घर में बने प्रसाद ठेकुआ दूध जल से अर्घ्य दे कर लोकपर्व का निर्वहन किया।
उद्योग नगरी पिंपरी चिंचवड़ हो भी सभी ने शासन प्रशासन के आदेशों का समाधान किया जिससे नगर के सभी घाटों पर सन्नाटा रहा वही दूसरी ओर व्रतियों के घर जगमग नज़र आये। शहर के छठ आयोजकों व स्थानीय जन मानस ने इसमें अपनी भूमिका निभाई जिससे लोकआस्था का महापर्व हर्षोल्लास से मनाया गया व सभी ने समाज व लोक कल्याण की कामना की।
विश्व श्रीराम सेना समाजिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालबाबु गुप्ता बताया कि बाह्य विघटनकारी शक्तियों के कारण ही हमारे राष्ट्र पर कोरोना महामारी का संकट आया है और आज हम लगभग एक वर्ष से इससे लड रहे है। कोरोना के कारण ही हमारे धार्मिक पर्वों के मानने की सनातन पद्धति मे बदलाव करना पड़ा है। आज लाखों वर्षों की सनातन परंपरा खंडित हुई है। सतयुग से लेकर आज तक छठ महापूजा श्री सूर्यषष्ठी महाव्रत नदी तटों पर प्रकृत के गोद में होता रहा है। आज सभी को मंथन करना ही होगा की भविष्य में हम अपने धार्मिक सांस्कृतिक लोक कल्याणी पंरंपराओं का संवर्धन कैसे करे व राष्ट्र बाह्य आपदाओं से कैसे बचे?