पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र में सरपंच का चुनाव जनता के मतदान से होना चाहिए। चुने गए सदस्यों द्धारा सरपंच का चुनाव नहीं होना चाहिए। सरपंच को भी विधायक,सांसदों की तरह निधी मिलनी चाहिए। ऐसी मांग आज पत्रकार परिषद में सरपंच परिषद मुंबई,महाराष्ट्र ने की। परिषद के प्रदेश अध्यक्ष दत्ता काकडे ने कहा कि इस बारे में शरद पवार,अजित पवार,छगन भूजबल समेत राज्य सरकार से पत्राव्यवहार,प्रत्यक्ष मिलकर मांग की है कि सरपंच का इलेक्शन हो ना कि सिलेक्शन।
उनका कहना था कि ग्रामपंचायत यह एक स्थानीय स्वराज्य संस्था है। सरपंच इस संस्था का प्रमुख होता है। लेकिन दुर्भाग्य है कि स्थानीय स्वराज संस्था के जनप्रतिनिधि,विधान परिषद में मतदान करने का अधिकार नहीं। जिस तरह स्नातक और शिक्षा निर्वाचन क्षेत्र में मतदान कराया जाता है और एक विधायक निर्वाचित होकर विधान परिषद सदन में पहुंचता है। ठीक इसी तर्ज पर ग्रामपंचायत नाम से विधान परिषद के लिए एक निर्वाचन क्षेत्र निर्धारित किया जाना चाहिए। ताकि जो जनप्रतिनिधि चुनकर जाए वो ग्रामीण आंचल के विकास के बारे में सदन के माध्यम से अपनी बात रख सके।
काकडे ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह अफसोस के साथ कहना पडता है कि कोई भी सरकार हो ग्रामीण विकास के प्रति उदासीन रहती है। पहले मार्केट समिति में ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि हुआ करते थे। लेकिन अब इसे रद्द किया गया है। कोई भी सरकार सत्ता में क्यों न हो ग्रामीण क्षेत्र के साथ भेदभाव,अन्याय करती है। ग्रामपंचायत चुनाव में मतदाता सूची हो या फिर चुनावी प्रक्रिया स्थानीय निर्वाचन अधिकारी गलत निर्णय लेते है। विरोध करने पर कोर्ट में जाने की सलाह देते है। कोरोना काल में ग्राम पंचायत को राज्य सरकार,केंद्र सरकार किसी ने निधी उपलब्ध नहीं करवायी। सरपंच,उपसरपंच को मिलने वाला मानधन बेहद कम है। इसमें वृद्धि होनी चाहिए। पूरे महाराष्ट्र में ग्रामपंचायत चुनाव से पहले पैनल बंदी कानून अनिवार्य होना चाहिए।
पत्रकार परिषद में प्रदेश महासचिव अँड विकास जाधव, कमेटी सदस्य आनंद जाधव आदि मान्यवर उपस्थित थे।