कोलकाता(व्हीएसआरएस न्यूज) राष्ट्रीय हरितन्यायाधिकरण (एनजीटी) ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि कोलकाता की प्रसिद्ध रवींद्र सरोबर झील में किसी भी परिस्थिति में छठ पूजा की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस फैसले को जहां तृणमूल कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने का फैसला लिया है। वहीं इस मामले पर भाजपा ने पार्टी का समर्थन किया है।
विपक्ष तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व में ममता बनर्जी की सरकार पर हिंदी भाषियों के वोट पाने का आरोप लगाती रहती है। ऐसे में कोलकाता नगर विकास प्राधिकरण (केएमडीए) ने एनजीटी से दक्षिण कोलकाता में रबींद्र सरोबर में छठ पूजा अनुष्ठानों पर प्रतिबंध लगाने के अपने आदेश में छूट देने की अपील की। केएमडीए ने लोगों की भावनाओं को देखते हुए केवल एक दिन के लिए प्रतिबंध में छूट देने की अपील की।
केएमडीए ने अदालत से कहा कि वह झीलों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय करेगी। बता दें कि छठ पूजा 19 और 20 नवंबर को होगी। प्रतिबंध के बावजूद नवंबर 2019 में सैकड़ों भक्तों ने पूजा-पाठ करने के लिए रवींद्र सरोबर के द्वार खोल दिए थे। यहां तक की उन्होंने सरोबर में पटाखे जलाए और ड्रम भी बजाया।
सरकार ने राज्य के अन्य जल निकायों में पूजा करने कि अनुमति दी हुई है। 2019 की घटना के कारण विवाद खड़ा हो गया था। छठ पूजा सूर्य देवता और छठी मैया को समर्पित पर्व है। छठी मैया को सूर्य देवता की बहन कहा जाता है। यह त्योहार ज्यादातर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली राज्यों में मनाया जाता है।
पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हाकीम ने गुरुवार दोपहर को कहा,हम सर्वोच्च न्यायालय का रुख करेंगे।दिलचस्प बात ये है कि इस मामले में पार्टी को अपनी धुर विरोधी भाजपा का समर्थन मिला है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राहुल सिन्हा ने कहा,पूजा करना लोगों का मौलिक अधिकार है। पानी में फूल आदि छोड़े जाने पर प्रतिबंध हो सकता है लेकिन कोई भी पूरी तरह से पूजा पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता है।