Pcmc News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई सार्वजनिक गणपति ट्रस्ट, सुवर्णयुग तरुण मंडल की ओर से गणेशोत्सव के 132वें वर्ष के अवसर पर हिमाचल प्रदेश के जटोली शिव मंदिर की प्रतिकृति बनाएगा। यह मंदिर एशिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर के रूप में जाना जाता है। ट्रस्ट के अध्यक्ष माणिक चव्हाण ने बताया कि इस वर्ष के गणेशोत्सव के दौरान दगडूशेठ हलवाई गणपति ट्रस्ट द्वारा हिमालय की निकटता में प्रसिद्ध और बहुत पवित्र मंदिर की एक उज्ज्वल प्रतिकृति बनाई जाएगी। इसलिए, यह कहना होगा कि जो श्रद्धालु भक्त और पर्यटक इस वर्ष के गणेशोत्सव के दौरान गणपति के दृश्य देखने आते हैं, वे हिमाचल प्रदेश में प्रति शिव मंदिर के दर्शन का लाभ उठा सकते हैं।
सणस मैदान के सामने हीराबाग कोठी में ट्रस्ट के सजावट विभाग में सजावट लॉन्च समारोह का संचालन कला निर्देशक अमन विधाते और दीपाली विधाते ने किया। इस अवसर पर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सुनील रसाणे, कोषाध्यक्ष महेश सूर्यवंशी, महासचिव हेमन्त रसाणे, उत्सव प्रमुख अक्षय गोडसे, सह सचिव अमोल केदारी, सुवर्णयुग तरूण मंडल अध्यक्ष प्रकाश चव्हाण सहित पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे। ट्रस्ट वर्षों से सजावट के माध्यम से विभिन्न मंदिरों की उत्कृष्ट प्रतिकृतियां बनाने का प्रयास कर रहा है। इस वर्ष की प्रतिकृति हिमाचल प्रदेश के सोलन में जटोली शिव मंदिर है, जो एक शानदार पहाड़ी पर बसा मंदिर है। जटोली नाम महादेव की लंबी जटा से लिया गया है। यह मंदिर एक वास्तुशिल्प चमत्कार है। पुराणों में वर्णित भगवान शिव के सबसे पुराने मंदिरों में से एक इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि यह मंदिर कभी भगवान शंकर का विश्राम स्थल रहा था।
जटोली मंदिर एक विशिष्ट दक्षिण-द्रविड़ वास्तुकला शैली में बनाया गया है और इसमें एक पंक्ति में तीन पिरामिड हैं। पहले पिरामिड पर गणेश की छवि और दूसरे पिरामिड पर शेष नाग की छवि दिखाई देती है। इस मंदिर को बनने में 39 साल लगे। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 111 फीट है। मंदिर में पत्थरों को थपथपाने पर ड्रम जैसी आवाज भी सुनाई देती है।
125 फीट लंबा और 11 फीट ऊंचा
गणेशोत्सव के दौरान साकार होने वाली जटोली शिव मंदिर की प्रतिकृति का आकार 125 फीट लंबा, 50 फीट चौड़ा और 11 फीट ऊंचा होगा। मंदिर की प्रतिकृति फाइबर से बनाई जाएगी और पेंटिंग की जाएगी। मुख्य हॉल में स्तंभों का डिज़ाइन ढीला है और भक्त आसानी से लंबी दूरी से श्री के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर का निर्माण कार्य कला निर्देशक अमन विदाते ने किया है, प्रकाश व्यवस्था का कार्य वैकर बंधु ने किया है, मंडप व्यवस्था काले मांडववाले ने की है।
हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर से 5 किलोमीटर दूर स्थित जटोली गांव में स्थित जटोली शिव मंदिर भी विशेष महत्व रखता है। इस मंदिर में प्रतिदिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह 108 फुट ऊंचा मंदिर है जिसको बनाने में लगभग 40 साल का समय लगा था।जटोली शिव मंदिर की वास्तुकला इंडो-आर्यन की एक विशिष्ट शैली से प्रेरित है। इसमें दक्षिण-द्रविड़ शैली की झलक भी दिखाई देती है। कहते हैं कि यह मंदिर एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। यह तीन पिरामिडों से बना है। पहले पिरामिड पर भगवान गणेश की छवि देखी जा सकती है, जबकि दूसरे पिरामिड पर शेषनाग की मूर्ति है तो तीसरे पर त्रिशूल है। मंदिर की संरचना के ऊपरी भाग को शिखर कहा जाता है। दूसरे भाग को विमान कहा जाता है, जो उच्चतम पिरामिड से थोड़ा नीचे है। यदि कोई पर्यटक पहाड़ी की चोटी पर स्थित किसी भव्य और शानदार मंदिर को देखना चाहता है तो जटोली शिव मंदिर उसके लिए उपयुक्त स्थान है। जटोली का नाम भगवान शिव की लंबी जटाओं (बालों) के कारण पड़ा है।
वर्ष 1950 में स्वामी कृष्णानंद परमहंस जटोली में आए और उनके मार्गदर्शन में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। उन्होंने 1974 में इस मंदिर की नींव रखी और 1983 में उन्होंने समाधि ले ली, लेकिन मंदिर का निर्माण जारी रहा और अब मंदिर की देखभाल मंदिर प्रबंधन समिति करती है।
मान्यता है कि मंदिर परिसर के आसपास पानी की कमी थी, इसलिए एक बाबा ने अपनी शक्ति से पास में ही एक तालाब बना दिया था। मंदिर समिति के अनुसार, एक नाथीराम राज-मिस्त्री था, जिसने इस मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।