National News मुंबई/नई दिल्ली(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र में बड़ा सियासी बदलाव सामने आया है। महाराष्ट्र नव निर्माण सेना भी अब बीजेपी के अगुवाई वाली महायुति में शामिल होगी। मनसे चीफ राज ठाकरे के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद अब मनसे की एनडीए में एंट्री तय मानी जा रही है। माना जा रहा है कि राज ठाकरे ने मुंबई दक्षिण की सीट बाला नांदगांवकर के लिए मांगी है। शिर्डी की दूसरी सीट भी मांगी है। 2019 के विधानसभा चुनावों में राज ठाकरे की मनसे ने 13 सीटें जीती थी।
बीजेपी के अगुवाई वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना भी शामिल होगी। महायुति में मनसे चौथी सहयोगी बनेगी। पिछले 24 घंटे की हलचल के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के एनडीए गठबंधन का हिस्सा बनना लगभग तय हो गया है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे गठबंधन के फार्मूले को अंतिम रूप देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर मुलाकात की है॥ अमित शाह और राज ठाकरे की इस मुलाकात के बाद मनसे की महायुति में एंट्री का ऐलान हो सकता है।
देर रात से बढ़ी हलचल
इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने राज ठाकरे से मुलाकात कर गठबंधन को लेकर बातचीत की और फिर दोनों नेता अमित शाह के आवास पर पहुंचे। आपको बता दें कि मनसे प्रमुख भाजपा के आला नेताओं से मुलाकात करने के लिए सोमवार को देर रात दिल्ली आए थे। राज ठाकरे के एनडीए गठबंधन में शामिल होने से भाजपा को महाराष्ट्र में फायदे की उम्मीद है। राज ठाकरे स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे के भतीजे और उन्हीं की स्टाइल में फायर ब्रांड राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं। ऐसी संभावना है कि मनसे को मुंबई दक्षिण और शिरडी की सीटें मिल सकती है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी से मनसे ने यहीं दो सीटें मांगी हैं।
तैयार हो चुका है एंट्री का रोडमैप
नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात से पहले राज ठाकरे ने कहा था कि मुझे दिल्ली बुलाया गया था। सूत्रों की मानें तो बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने मनसे की एंट्री का रास्ता पहले ही तैयार कर लिया था। इसके बाद राज ठाकरे को दिल्ली बुलाया गया था। पार्टी नेता विनोद तावड़े और केंद्रीय गृह अमित शाह से मीटिंग होने के बाद अब मनसे की एनडीए में एंट्री का ऐलान हो सकता है। एनडीए यानी महाराष्ट्र में महायुति में मनसे की एंट्री को उद्धव ठाकरे फैक्टर की काट के तौर पर देखा जा रहा है। राज्य में सीएम पद गंवाने और पार्टी में टूट के बाद उद्धव ठाकरे के साथ सिंपैथी फैक्टर बना हुआ है।
राजनीतिक जानकार इसके पांच बड़े कारण गिना रहे
पहला- पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि कहीं ना कहीं बीजेपी इस बात को लेकर क्लीयर नहीं है कि लोकसभा चुनाव में मुंबई और आसपास के इलाकों में उद्धव गुट और कांग्रेस उनका गठबंधन कितना नुकसान पहुंचा सकता है? पिछली बार यहां की सभी सीटों पर एनडीए ने जीत हासिल की थीं। ऐसे में बीजेपी इस बार भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। ये नंबर पार्टी के लिए बहुत मायने रखते हैं। खासकर इसलिए, उद्धव ठाकरे अगर मुंबई में कोई सीट जीत जाते हैं तो ये उनकी पार्टी के लिए बड़ा बूस्ट होगा। उसे काउंटर करने के लिए अभी भी मजबूत लोगों को अपने पाले में लाने की जरूरत है।
दूसरा- मूड ऑफ द नेशन के सर्वे में भी महा विकास अघाड़ी (इंडिया ब्लॉक) और एनडीए के बीच में करीब 4 प्रतिशत वोट का अंतर दिखाई दिया था। इसका मतलब साफ है कि अभी भी करीब 15 प्रतिशत फ्लोटिंग वोट दिखाई दे रहा था। ऐसे में फ्लोटिंग वोट को समय रहते अपने पाले में लाने की कोशिश करनी चाहिए। उसे देखते हुए बीजेपी की ओर से राज ठाकरे से संपर्क किया गया। खासकर दक्षिण मुंबई की सीट पर बात चल रही है। उसका असर मुंबई और आसपास के इलाकों में देखने को मिल सकता है।
तीसरा- चूंकि बीजेपी को लगता है कि शिवसेना का कोर मराठी वोटर अभी भी उद्धव ठाकरे के समर्थन में है और एकनाथ शिंदे के साथ बीजेपी को ट्रांसफर होने की संभावनाएं कम हैं। ऐसे में अगर राज ठाकरे जैसा चेहरा एनडीए के साथ होगा तो कम से कम उन वोटों को साथ में लाने की कोशिशें सफल हो सकती हैं।
चौथा- दूसरी तरफ राज ठाकरे के लिए भी एनडीए अलायंस में आना एक तरह से मजबूरी है। उनकी पार्टी का ग्राफ धीरे-धीरे नीचे ही जा रहा है. पिछले चुनाव नतीजे में सामने आया कि चछड के एक से दो प्रतिशत वोट बचे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में मनसे ने बीजेपी और पीएम मोदी का समर्थन किया था। हालांकि, 2019 में यूटर्न मारा और पीएम मोदी का विरोध किया था। राज ठाकरे की पार्टी 2019 का चुनाव भी नहीं लड़ी थी।
पांचवा- राज ठाकरे को लगता है कि उद्धव ठाकरे के कांग्रेस के साथ जाने से हिंदुत्व की पिच खाली है और बीजेपी के समर्थन से संगठन को भी मजबूत किए जाने का एक अच्छा मौका हो सकता है। राज ठाकरे पर अपनी पार्टी कैडर का भी दबाव है। ऐसे में एनडीए में आकर राज ठाकरे ना सिर्फ पार्टी को बचा सकेंगे, बल्कि अपना वोट प्रतिशत और लोकसभा में भी उपस्थिति दर्ज करवा सकते हैं।रोचक यह है कि राज ठाकरे की यह बातचीत सिर्फ बीजेपी हाईकमान के साथ हो रही है। इसमें शिंदे गुट या अजित गुट को शामिल नहीं किया गया है। इसका मतलब साफ है कि जो भी गठबंधन की बातचीत होगी, वो बीजेपी के साथ होगी। इसमें विधानसभा के लिए सीटों पर बातचीत हो सकती है। फिलहाल, महाराष्ट्र में एक नए राजनीतिक समीकरण उभरने की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है।