Mumbai News मुंबई(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र के शिवसेना बागी विधायकों पर आज विधानसभा सभापति राहुल नार्वेकर ने अपना एतिहासिक फैसला सुनाते हुए उद्धव ठाकरे को बडा झटका देते हुए कहा कि असली शिवसेना शिंदे गुट की है। एकनाथ शिंदे को पार्टी से हटाने का अधिकार अकेले उद्धव ठाकरे को नहीं है। यह अधिकार राष्ट्रीय कार्यकारिणी को होता है। शिंदे गुट के पास विधानसभा में 37 विधायकों का समर्थन है। 16 बागी विधायकों को योग्य करार दिया गया है। इस बहुमत के आधार पर शिवसेना पर अधिकार एकनाथ शिंदे गुट का है। बालासाहब ठाकरे की बनाई वर्षों पुरानी शिवसेना पार्टी पर अब शिंदे गुट का कब्जा हो गया। राहुल नार्वेकर ने कहा कि पार्टी संविधान का जो हवाला दिया वह गलत तर्क था। दावा खारिज करते हुए 1999 के संविधान व कार्यकारिणी के आधार पर फैसला दिया। शिंदे नियमों के आधार पर ही शिवसेना प्रमुख बने है।
शिवसेना विधायकों की अयोग्यता को लेकर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपना फैसला सुना दिया है। राहुल नार्वेकर ने उद्धव गुट को बहुत बड़ा झटका दिया है। स्पीकर नार्वेकर का फैसला शिंदे गुट के पक्ष में आया है। राहुल नार्वेकर ने विधायकों की सदस्यता बरकरार रखी है। उद्धव गुट की मांग को स्पीकर ने खारिज कर दिया है। विधानसभा अध्यक्ष ने अपने फैसले में बताया कि, ’एकनाथ शिंदे गुट ही असली शिवसेना है।’
शिवसेना का 1999 का संविधान ही मान्य
राहुल नार्वेकर ने फैसला पढ़ते हुए कहा, ’शिवसेना का 1999 का संविधान ही मान्य है। चुनाव आयोग रिकॉर्ड में सीएम शिंदे गुट असली पार्टी है। मैंने एउ के फैसले को ध्यान में रखा है। मैं चुनाव आयोग के रिकॉर्ड से बाहर नहीं जा सकता। उद्धव गुट दलील में दम नहीं है। शिवसेना अध्यक्ष को शक्ति नहीं है। शिंदे को नेता पद से नहीं हटा सकते थे। उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे को नहीं हटा सकते थे और उद्धव ठाकरे अकेले निर्णय नहीं ले सकते थे। कार्यकारिणी की बैठक नहीं बुलाई गई। बहुमत का फैसला लागू होना चाहिए था। 2018 का फैसला संविधान के अनुसार नहीं था।’
क्या बोले राहुल नार्वेकर?
राहुल नार्वेकर ने कहा, पार्टी के संविधान को लेकर दोनों गुटों के बीच मतभेद की शिकायत चुनाव आयोग में दाखिल की गई है। संविधान का आधार यह बताने के लिए लिया गया है कि असली शिवसेना कौन है। चुनाव आयोग का फैसला पार्टी के संविधान पर आधारित है। 2018 में संविधान में जो संशोधन हुआ, उसका पूरा विचार पार्टियों को था। उस वक्त जो संविधान संशोधन हुआ, वह सभी की सहमति से हुआ है। लेकिन चूंकि चुनाव आयोग के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है इस संबंध में, इस संविधान को ध्यान में नहीं रखा जाएगा, बल्कि 1999 के पुराने संविधान को ध्यान में रखा जाएगा।
2022 में शिवसेना बंट गई थी
महाराष्ट्र की राजनीति के लिए आज बड़ा दिन है। शिंदे के नेतृत्व में विधायकों की बगावत के चलते जून 2022 में शिवसेना विभाजित हो गई थी। उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाने की समय-सीमा 31 दिसंबर, 2023 तय की थी, लेकिन उससे कुछ दिन पहले 15 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने अवधि को 10 दिन बढ़ाकर फैसला सुनाने के लिए 10 जनवरी की नयी तारीख तय की गई थी।