Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे के विभागीय आयुक्त सौरभ राव कलेक्टर डॉ.राजेश देशमुख के साथ उन्होंने ससून जनरल अस्पताल का दौरा किया और स्वास्थ्य सेवाओं, जनशक्ति, दवा आपूर्ति आदि के संबंध में समीक्षा बैठक की। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न औषधि कक्षों का भ्रमण एवं निरीक्षण किया।
इस अवसर पर बी. जी. मेडिकल कॉलेज और ससून अस्पताल के संस्थापक डॉ. संजीव ठाकुर, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष मुरलीधर तांबे, डॉ. नरेश जांजड़, डॉ.संजय गायकवाड, डॉ. गिरीश बारटक्के, उपाध्यक्ष डॉ. डॉ. शेखर प्रधान, ससून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक किरण जाधव, उप चिकित्सा अधीक्षक सुजीत धीवरे और अन्य उपस्थित थे। इस समय श्री.राव ने अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या, अस्पताल में चिकित्सा, नर्सिंग और अन्य जनशक्ति की समीक्षा की। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने अस्पताल में दवा के स्टॉक के साथ-साथ दवा खरीद के संबंध में की गयी कार्रवाई की समीक्षा के बाद निर्देश दिया है कि दवा स्थानीय स्तर पर खरीदी जाये और अस्पताल को जिला योजना समिति से राशि दी जा सके। आवश्यक एवं जीवनरक्षक दवाओं की खरीद के लिए।
चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग की ओर से नर्सिंग स्टाफ की भर्ती की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और प्रक्रिया पूरी होने पर अस्पताल में नर्सों के रिक्त पद उपलब्ध हो जाएंगे। राव एवं कलेक्टर डॉ. देशमुख ने कहा। अस्पताल के मुताबिक विस्तृत रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंपी जाएगी। राव ने कहा.चतुर्थ श्रेणी की रिक्तियों को भरने के लिए मौके पर जांच आदि जैसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अस्पताल को आवश्यक सहायता शीघ्रता से प्रदान की जाएगी। इस मौके पर मंडलायुक्त ने निर्देश दिया कि बाहरी स्रोतों से मैनपावर उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाये। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल की आधुनिक ढंग से साफ-सफाई के लिए नियुक्त तंत्र द्वारा आवश्यक उपाय किये जायें।
अस्पताल में 1 हजार 296 बेड हैं और इस समय अधिक मरीज भर्ती हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि यह तृतीयक एवं गहन चिकित्सा अस्पताल है, इसलिए यहां अन्य जिलों से भी बड़ी संख्या में मरीज भर्ती होते हैं। इस अवसर पर मण्डलायुक्त एवं जिलाधिकारी ने औषधि कक्ष में जाकर औषधि भण्डार आदि का निरीक्षण किया। इसके अलावा नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू), ट्रॉमा केयर आईसीयू के साथ-साथ रोगी कैदी कक्ष नं. 16 का दौरा कर निरीक्षण किया। यह भी सुझाव दिया गया कि डॉक्टरों की एक टीम नियुक्त की जानी चाहिए और बीमार कैदियों के इलाज के संबंध में मामले-दर-मामले के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए।