National News नई दिल्ली(व्हीएसआरएस न्यूज) पीएम नरेंद्र मोदी जब लालकिला के प्राचीर से भाषण दे रहे होंगे तो इस दौरान आसपास की हर गतिविधि पर ’तीसरी आंख’ की नजर रहेगी। पीएम के इर्द-गिर्द मौजूद ये आंखें दुश्मनों की हर एक हरकत को भांप लेती हैं। इनकी नजर बाज की तरह होती है। निशाना इतना परफेक्ट की पलक झपकाते ही काम तमाम। पीएम की सुरक्षा में तैनात इन तीसरी आंख को स्पेशल प्रोटेक्श ग्रुप के कमांडो के रूप में जाने जाते हैं। इस फोर्स में शामिल होने के लिए काफी सख्त ट्रेनिंग होती है। 2 जून 1988 को संसद ने एक अधिनियम के तहत एसपीजी का गठन किया था।
बाज सी नजर, चप्पे-चप्पे पर निगाहें
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का घोष वाक्य शौर्यम, समपर्णम और सुरक्षणम है। अभी इस बल में करीब 3 हजार जवान हैं। ये पीएम की सुरक्षा के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं। ये जवान अत्याधुनिक हथियारों और तकनीक से लैस होते हैं। लाल किले पर भाषण से कुछ दिन पहले ये जवान मोर्चा संभाल लेते हैं।
खास सूट और हथियार
एसपीजी कमांडो के जवान एक खास सूट और हथियार से लैस होते हैं। उन्हें अत्याधुनिक असॉल्ट रायफल और ऑटोमैटिक गन दी जाती है। ये जवान एल्बो और नी गार्ड पहने रहते हैं।
आंखों में चश्मे लगाने की इनसाइड स्टोरी
एसपीजी कमांडो जो काले रंग के चश्मे पहनते हैं वो बेहद खास होते हैं। इन चश्मों के जरिए आतंकी हमलो या ऐसे ही हमलों के दौरान धुआं आदि से बचाया जा सकता है। या फिर जहरीली गैसों से आंखों को बचाया जा सकता है।
निशाना ऐसा कि बचना मुश्किल
एसपीजी कमांडो का निशाना अचूक होता है। ये काफी कठिन ट्रेनिंग के बाद एस खास यूनिट में शामिल होते हैं। इनके निशाने से किसी दुश्मन का बचना नामुमकिन है। डझॠ के जवान बेहत उच्च तकनीक वाले बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते हैं। ये जैकेट लेवल-3 कैलिवर की होती है। इसका वजन 2.2 किलो होता है और यह 10 मीटर दूर से एके 47 से चलाई गई 7.62 कैलिबर की गोली को भी झेल सकती है।
जूता भी होता है खास
एसपीजी कमांडो के जूते भी बेहद खास होते हैं। इनके जूते बेहद हाई क्वालिटी के होते हैं। जो उन्हें फिसलन से बचाने के अलावा चलने में मदद करता है। इसके अलावा इनके ग्लब्स बेहद मजबूत होते हैं, वे उनके हाथों में किसी तरह की चोट से बचाते हैं। कमांडो अपने साथियों से बातचीत के लिए अपने कानों में लगे ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं।
सुरक्षा ऐसी की पतंग भी पर न मार पाए
पीएम के भाषण के लिए लाल किले में कई स्तरों पर सुरक्षा की व्यवस्था की जाती है। इसमें एनएसजी के स्नाइपर्स,स्वाट कमांडो और पतंग पकड़ने वाला दस्ता तैनात होता है। गौरतलब है कि 15 अगस्त पर दिल्ली में जमकर पतंगबाजी होती है। ऐसे में कहीं पतंक कार्यक्रम की तरफ न आ जाए उसके लिए भी कड़े इंतजाम होते हैं।