Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) राज्यपाल और कुलाधिपति भगतसिंह कोश्यारी ने मुंबई विश्वविद्यालय, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय और कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के चयन के लिए तीन स्वतंत्र चयन समितियों का गठन किया है।
मुंबई विश्वविद्यालय के नए कुलाधिपति के चयन के लिए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश यतींद्र सिंह की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। आईआईटी (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) वाराणसी के निदेशक प्रो.प्रमोद कुमार जैन और राज्य गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद लिमये इस चयन समिति के सदस्य होंगे।
राज्यपाल ने सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के नए कुलपति का चयन करने के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश शुभ्रा कमल मुखर्जी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। आईआईटी कानपुर के निदेशक डॉ. अभय करंदीकर और अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक कपूर इस समिति के सदस्य होंगे।
कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के केंद्रीय लोक सेवा संगठन के नए कुलपति के चयन हेतु पूर्व अध्यक्ष प्रो.डॉ प्रदीप कुमार जोशी की अध्यक्षता में एक चयन समिति का गठन किया गया है। श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, वेरावल, गुजरात के पूर्व कुलपति गोपबंधु मिश्रा और राज्य के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव विकास चंद्र रस्तोगी समिति के अन्य सदस्य होंगे।
आपको बताते चलें कि राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन विधेयक को वापस लिए जाने के बाद अब प्रदेश में तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के चयन की प्रक्रिया तेज हो गई है। राज्यपाल और कुलाधिपति भगतसिंह कोश्यारी ने मुंबई विश्वविद्यालय, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति चयन प्रक्रिया के लिए तीन स्वतंत्र चयन समितियां नियुक्त कीं।
महाविकास अघाड़ी सरकार द्वारा विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन और राज्यपाल की शक्तियों को कम करने को लेकर सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद हुआ था। उसके बाद प्रदेश के तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की चयन प्रक्रिया ठप हो गई। राज्य में शिंदे सरकार के अस्तित्व में आने पर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने अदालत में हलफनामा दाखिल कर सरकार द्वारा नियुक्त सदस्यों के नाम सौंपे। कुछ दिन पहले कैबिनेट की बैठक में यूनिवर्सिटी एक्ट में संशोधन बिल को वापस लेने का फैसला लिया गया था। इस पृष्ठभूमि में राज्यपाल ने अब तीन समितियां नियुक्त की हैं। तो अब यह स्पष्ट है कि कुलपति चयन प्रक्रिया कानून के अनुसार शुरू हो गई है।