Pune पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे साइबर पुलिस ने 17 दिसंबर 2021 को टीईटी पेपरफुटी मामले में तुकाराम सुपे को गिरफ्तार किया था। साइबर सेल ने सबसे पहले सुपे को पूछताछ के लिए बुलाया था। बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। तुकाराम सुपे पर शिक्षक पात्रता परीक्षा में अभ्यर्थियों से पैसे लेने का आरोप है। तुकाराम सुपे के दामाद,बेटे,रिश्तेदारों और दोस्तों ने सुपे के दामाद से 7 सूटकेस में 2 करोड़ 34 लाख रुपये और 65 लाख रुपये के सोने के आभूषण जब्त किए थे। क्रेडिट यूनियन में फिक्स डिपॉजिट जमा रसीद,सुपे के घर से पत्नी का नाम संपत्ति के दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं।
तर्क है कि बलि का बकरा बनाया जा रहा है
इस मामले में जमानत पाने के लिए सुपे ने अधिवक्ता से पूछा। उन्होंने मिलिंद पवार के जरिए जमानत के लिए आवेदन किया था। बहस के दौरान एड.पवार ने कहा कि दत्तात्रेय गोविंद जगताप,जो टीईटी परीक्षा के समय वादी थे और परिणाम घोषित किए गए थे,स्वयं महाराष्ट्र राज्य परीक्षा परिषद के आयुक्त थे। इसलिए सुपे के कार्यकाल में ऐसा कोई अपराध नहीं हुआ है। उत्तीर्ण छात्रों को जारी प्रमाण पत्र में डिजिटल हस्ताक्षर होते हैं। इसलिए सुपे के परोक्ष रूप से संबंधित प्रमाण पत्र वितरित किए गए हैं। सुपे कंप्यूटर विशेषज्ञ नहीं है इसलिए सुपे खुद कंप्यूटर पर किसी भी तरह का हेरफेर नहीं कर सकते।
हालांकि सुपे आयुक्त थे,वे एक अतिरिक्त और अस्थायी आयुक्त थे। सुपे अकेले कोई निर्णय नहीं ले सकते। इस बीच सुपे एसएससी और एचएससी बोर्ड के अध्यक्ष थे। इसलिए इस मामले में सुपे को बलि का बकरा बनाया गया है। असली गुनहगार आज भी बाहर हैं। आयुक्त तुकाराम सुपे का सुपे और उनके रिश्तेदारों से जब्त की गई नकदी की राशि से कोई लेना-देना नहीं है। हम अदालत में सुनवाई शुरू होने के समय जब्त की गई नकदी और आभूषणों की राशि का खुलासा करेंगे।