Pune पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पिछले दो-तीन वर्षों में राज्य सरकार की नीतियों का असर निजी गैर-सब्सिडी वाले, स्व-वित्तपोषित अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों पर पड़ रहा है। इंडिपेंडेंट इंग्लिश स्कूल्स एसोसिएशन ने स्व-वित्तपोषित स्कूलों के मुद्दे पर एक स्वतंत्र मंत्री की नियुक्ति की मांग करते हुए कहा है कि शिक्षा विभाग हमेशा निजी गैर-सब्सिडी वाले, स्व-वित्त पोषित स्कूलों की समस्याओं को सुने बिना कार्रवाई कर रहा है। आरटीई फीस की प्रतिपूर्ति के लिए लगभग 900 करोड़ रुपये बकाया है और 1200 से अधिक स्कूल वित्तीय संकट के कारण बंद कर दिए गए हैं।
पिछले कुछ दिनों में पुणे के कुछ स्कूलों में हुई घटनाओं के बाद स्कूल शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को संबंधित स्कूलों के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है। इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, इंडिपेंडेंट इंग्लिश स्कूल्स एसोसिएशन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वयं सहायता अंग्रेजी स्कूलों के समर्थन में बात की। इस अवसर पर एसोसिएशन के सलाहकार जागृति धर्माधिकारी, ट्रस्टी राजीव मेंदीरत्ता, ओम शर्मा, श्रीधर अय्यर आदि उपस्थित थे। धर्माधिकारी ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में निजी स्वयं सहायता विद्यालयों की अहम भूमिका है। स्कूलों को वित्तीय झटका झेलना पड़ रहा है क्योंकि सरकार लगभग 900 करोड़ रुपये की आरटीई फीस की प्रतिपूर्ति करके थक चुकी है। इसके अलावा, यदि तकनीकी समस्या उत्पन्न होती है, तो आपको हर बार अदालत जाना होगा।
माता-पिता की समस्याओं को समझ कर स्कूल भले ही रियायतें देते हैं, लेकिन कभी-कभी राजनीतिक कार्यकर्ता जोर-जोर से धक्का-मुक्की करते हैं, अभिभावक आक्रामक हो जाते हैं। लेकिन शिक्षा विभाग स्ववित्तपोषित विद्यालयों का पक्ष नहीं सुन रहा है। इन स्कूलों को सरकार की नीतियों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। नतीजतन, एक दर्जन से अधिक स्कूल बंद कर दिए गए हैं, कुछ को प्रशासकों द्वारा बेच दिया गया है, और कुछ को स्थानांतरित कर दिया गया है। निजी गैर अनुदानित, स्ववित्तपोषित विद्यालयों की समस्याओं को सुने बिना शिक्षा विभाग द्वारा हमेशा कार्रवाई की भाषा का प्रयोग किया जाता है। एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने कहा कि स्ववित्तपोषित स्कूलों के मुद्दे पर स्वतंत्र मंत्री की मांग की जा रही है।