बैकुंठपुर। व्हीएसआरएस संवाददाता: जिले के गन्ना किसानों को चार वर्षों से फसल क्षति मुआवजे का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वर्ष 2017 में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान गन्ने की सत्तर फीसदी फसल बर्बाद हो गई थी। गन्ना उद्योग विभाग एवं चीनी मिल के कर्मियों ने संयुक्त सर्वेक्षण कर मुआवजा के लिए अपनी सूची राज्य सरकार को भेजी थी। लेकिन किसानों को मुआवजे का लाभ नहीं मिल सका।
वर्ष 2020 में आई विनाशकारी बाढ़ से बरौली से बैकुंठपुर तक सारण तटबंध व जमींदारी बांध नौ जगहों पर टूट गए थे। बाढ़ की तेज धार में किसानों की धान मक्का व गन्ने की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। मक्का व धान की फसल लगाने वाले किसानों को राज्य सरकार की ओर से कृषि इनपुट मुआवजे का लाभ मिला था। लेकिन गन्ना किसान छह महीने तक मुआवजा मिलने की आस में टकटकी लगाए बैठे थे। गन्ना उद्योग विभाग द्वारा मुआवजे की राशि स्वीकृत नहीं की गई जिसकी वजह से किसानों को कृषि इनपुट की राशि नहीं मिल सकी। इस वर्ष गंडक नदी के निचले हिस्से में 15 जून से लेकर अब तक तीन बार बाढ़ की त्रासदी झेल चुके किसानों की गन्ने की फसल बर्बाद हो गई है।
जिले के गोपालगंज सदर, माझागढ़, बैकुंठपुर, सिधवलिया तथा बरौली प्रखंडों के करीब दो हजार हेक्टेयर में लगी गन्ने की फसल बर्बाद हुई है। फसल बर्बाद होने से आहत किसान मुआवजे की मांग शुरू कर दिए हैं। किसानों की माने तो अब तक उन्हें एक बार भी गन्ना की फसल बर्बाद होने पर मुआवजे का लाभ नहीं मिल सका है।