Pune पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे शहर,जिला और पिंपरी चिंचवड़ कार्य क्षेत्र में कार्यान्वियत पीएमपीएमएल 2,000 बसें,10,000 कर्मचारियों वाला एक संस्था है। दोनों शहरों की बस सेवा पीसीएमटी,पीएमटी का विलय वर्षों पहले किया गया था। दोनों पालिकाओं ने 60%,40% खर्चा उठाने के लिए करार भी किया था। यह संस्था हमेशा घाटे में चली। पिछले 14 वर्षों में 16 बदले गए। किसी भी अध्यक्ष ने पीएमपी में अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। पीएमपी का फॉर्मूला अभी भी प्रभारी अधिकारी के पास है। वर्तमान में राजेंद्र जगताप ने 30 जून को पीएमपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। पिछले दस दिनों में किसी को भी इस अध्यक्ष पद पर नियुक्त नहीं किया गया है। चार्ज एनएमसी के अतिरिक्त आयुक्त कुणाल खेमनार के कब्जे में हैं। उनके पास काम का बोझ ऐसा है कि उन्हें पीएमपी के लिए पर्याप्त समय देना भी संभव नहीं है। इसके चलते पीएमपी का प्रशासन फिर से असमंजस में है।
पीएमपी का गठन 2007 में पुणे पालिका के पीएमपी और पिंपरी चिंचवड़ पालिका के पीसीएमसी को मिलाकर किया गया था। उसके बाद सुब्रव पाटिल,अश्विनी कुमार,नितिन खाड़े,महेश जागड़े,शिरीष करले,दिलीप बंड,आर.एन जोशी,आर.आर जाधव,डॉ. श्रीकर परदेशी,ओमप्रकाश बकोरिया,कुणाल कुमार,अभिषेक कृष्ण,तुकाराम मुंडे,नयना गुंडे और राजेंद्र जगताप को वहां नियुक्त किया गया था। जोशी के अलावा कोई भी अधिकारी पीएमपी में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। झगड़े,करले,बुंद,परदेशी, बकोरिया,कुणाल कुमार का भी यही फॉर्मूला पीएमपी के प्रभारी थे। इसलिए राज्य सरकार इतने बड़े संगठन को चलाने के लिए पीएमपी के पूर्णकालिक अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर पाई है।
पीएमपी में कोई भी अधिकारी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन,राकांपा-कांग्रेस सरकार के दौरान भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। पीएमपी वर्तमान में संपत्ति को विकसित करने के लिए एक प्रस्ताव लंबित है और ई-बसों,डीजल पंपों,सीएनजी पंपों, ई-वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन,सौर ऊर्जा परियोजनाओं और अन्य योजनाओं की खरीद की प्रक्रिया में भी है। हालांकि,प्रेसीडेंसी में रिक्ति के कारण,पीएमपी अब इन योजनाओं को लागू करने में सीमित हो गई है। पूर्व चार्टर्ड एकाउंटेंट महेश जगदे ने कहा,सार्वजनिक परिवहन बहुत महत्वपूर्ण है। पीएमपी दोनों शहरों की जान है। इसे कॉरपोरेट आधार पर चलाने के लिए पीएमपी की स्थापना की गई है। एक सक्षम अधिकारी की नियुक्ति की आवश्यकता है। निजी कंपनियों की तरह पीएमपी को प्रभावी ढंग से यात्री केंद्रित होना चाहिए। शहर के सांसदों और विधायकों को राज्य सरकार के साथ सहयोग की जरूरत है।
निदेशक का पद भी महीनों से खाली है
भाजपा के शंकर पवार ने पिछले महीने पीएमपी के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि बीजेपी पदाधिकारियों में गुटबाजी के चलते पवार को तीन बार इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद इसे मंजूरी दी गई। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पद पर एक अन्य सदस्य की नियुक्ति का आदेश दिया। हालांकि बीजेपी में गुटबाजी के चलते अभी तक पद नहीं भरा जा सका है। इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा हम इस महीने के अंत तक नियुक्ति कर देंगे।