मीरगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: कोरोना का वैक्सीन उपलब्ध ना होने के कारण क्षेत्र में लगातार चौथे दिन लोगों को कोरोना का वैक्सीन नहीं दिया जा सका। इसके कारण विभिन्न वैक्सीन केंद्रों से युवा और बुजुर्ग पूछताछ करके निराश लौटते दिखे। यहां तक की बरवा कपरपुरा के पास स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी सन्नाटा छाया रहा और इक्का-दुक्का उपस्थित स्वास्थ्य कर्मियों से लोग पूछताछ करके निराश लौटते देखे गए।
वैक्सीन लगाने में ऐसा अंतराल पहली बार देखा जा रहा है जब ना तो एटीन प्लस के युवाओं के लिए वैक्सीन उपलब्ध है और ना ही 45 प्लस लोगों के लिए। ऐसे में कोरोना के डर से परेशान लोग आए दिन अस्पतालों का चक्कर लगाकर वैक्सीन की उपलब्धता की ताजा हालात की जानकारी लेते देखे जा रहे हैं। लोगों में ज्यों-ज्यों कोरोना के लेकर जागरूकता बढ़ती जा रही है, उनमें वैक्सीन लेने की प्रति दिलचस्पी बढ़ती जा रही है।
यही कारण है कि जहां पहले वैक्सीन उपलब्ध रहते हुए भी स्वास्थ्य कर्मी लोगों की राह देखते थे आजकल उसी वैक्सीन के लिए मारामारी की नौबत देखी जा रही है। वैक्सीनेशन के कई दौर चल चुकने के बावजूद अभी भी मीरगंज क्षेत्र में वैसे बुजुर्गों की संख्या काफी ज्यादा है जो अब तक एक भी वैक्सीन का डोज नहीं ले सके है। बुजुर्गों पर परिजनों का दबाव और उनमें वैक्सीन के प्रति उठता विश्वास के बाद जब वे वैक्सीन लेने के लिए प्रेरित हुए हैं तो वैक्सिंन की अनुपलब्धता उन्हें खतरे की तरफ धकेल रही है।
स्थानीय लोगों का दर्द, दूरदराज से आ रहे लोग कर रहे हैं उनकी हक मारी।
स्थानीय लोगों मे एक शिकायत यह भी है कि दूरदराज से आए लोग पहले आकर वैक्सिंन का डोज ले ले रहे हैं और उनकी पहुंचने तक वैक्सिंन खत्म हो जा रही है ।ऐसा ही नजारा 3 जुलाई को भी देखने को मिला जब हथुआ पीएचसी में कुचायकोट जैसे दूरदराज प्रखंड के लोग पहुंच कर टीका लेते देखे गए,
वही जब स्थानीय लोग पहुंचे तो लाइन इतनी लंबी हो चुकी थी कि उनको टीका ही नहीं मिल सका। भुक्तभोगी मीरगंज के एक प्रभात केसरी ने बताया कि वह कई बार टीका लेने के लिए हथुआ पीएचसी समेत मीरगंज में भी प्रयास कर चुका है पर लोगों की भीड़ और भीड़ के द्वारा कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं कर पाने के कारण वह हर बार वैक्सिंग का डोज लेने से वंचित हो जा रहा है।
हालांकि टीका केंद्र पर तैनात कर्मियों का भी कहना है की सिवान जैसे दूसरे जिले से भी अच्छी खासी संख्या में लोग यहां आकर वैक्सीन का डोज लेने मे सफल हो रहे हैं वहीं स्थानीय निवासी लेटलतीफी के कारण टीका नहीं ले पा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वैक्सीन लेने के लिए यदि प्रखंड नहीं तो कम से कम अनुमंडल का ही दायरा बना दिया जाता तो शायद स्थानीय लोगों को कोरोना की वैक्सीन लेने में इतनी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता।