पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) इस बात का पता चला है कि शहर की गलियों और अन्य प्रमुख सड़कों में कंक्रीटिंग का काम पेड़ों की बलि देने तक आ पहुंचा है। कंक्रीटिंग के कारण पेड़ों को उखाड़ने,काटने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। पिछले दो वर्षों में पेड़ कटाई की सबसे ज्यादा घटनाएं दर्ज की गई हैं। पुणे पालिका के पार्क विभाग ने देखा है कि पेड़ों के गिरने के पीछे सीमेंट की सड़कें मुख्य कारण हैं। पिछले दो वर्षों में 2,421 पेड़ काटे गए हैं। चक्रवात आंधी के प्रभाव से पिछले दो दिनों में शहर में 40 पेड़ गिर गए। फायर ब्रिगेड के मुताबिक 2015 के बाद से पेड़ों के गिरने की संख्या में इजाफा हुआ है। शहर में अब सड़कों को पक्का करने का काम चल रहा है। इसलिए सभी पार्टियों के नागरसेवकों ने गलियों समेत ज्यादातर सड़कों को पक्का करने का काम शुरु किया है।
पर्यावरणविदों ने लगातार शिकायत की है कि सीमेंट की सड़कें पर्यावरण के लिए एक उपद्रव हैं। लेकिन अब पालिका के उद्यान विभाग ने भी स्पष्ट कर दिया है कि पेड़ों के गिरने के लिए सीमेंट की सड़कें जिम्मेदार है। कंक्रीटिंग से पेड़ों की जड़ों को बनाए रखने के लिए मिट्टी नहीं मिलती है। उद्यान विभाग के प्रमुख अशोक घोरपड़े ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप पेड़ों का जीवन छोटा होता जा रहा है। पार्क विभाग की ओर से कुछ साल पहले जारी सर्कुलर में कहा गया था कि सड़क के आसपास के क्षेत्र को कांक्रिट नहीं किया जाए। लेकिन पथ विभाग की ओर से इस पर ध्यान नहीं दिया गया। पालिका के पथ विभाग ने इस आपत्ति का खंडन किया है। सीमेंट की सड़कों से पेड़ गिरते हैं, लेकिन यह मुख्य कारण नहीं है। खतरनाक पेड़ की शाखाओं को गलत तरीके से तोड़ा जाता है। इसलिए ऐसे पेड़ बरसात के मौसम में गिर जाते हैं। सड़कों को विकसित करते समय उचित देखभाल की जाती है। पेड़ों की जड़ों के लिए पर्याप्त जगह होगी,इसलिए सड़क का काम किया जाता है
नगरसेवकों द्वारा हर साल बड़ी संख्या में सड़कों का निर्माण किया जाता है। इसके लिए मौजूदा, सुव्यवस्थित सड़कों को खोदा गया है। कंक्रीटिंग के लिए वार्ड स्तर के फंड से हर साल लगभग 300 करोड़ रुपये बर्बाद होते हैं। पालिका ने मानसून के दौरान सीमेंट सड़कों के कारण पानी के प्रवाह में रुकावट और सड़कों पर पानी भर जाने के कारण सीमेंट सड़कों का निर्माण नहीं करने का सर्कुलर जारी किया था। लेकिन उसके बाद भी कंक्रीटीकरण बड़े पैमाने पर है।