संसद सत्र से पहले मोदी सरकार को बदनाम करने की बड़ी साजिश का भंडाफोड़ हो गया है। पेगासस स्पाईवेयर के जरिए नेताओं, नौकरशाहों और पत्रकारों के फोन की जासूसी का मामला फर्जी निकला है। इस पूरे मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। इजरायली मीडिया कैलकलिस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने साफ कहा है कि उसने कभी भी यह दावा नहीं किया कि यह लिस्ट एनएसओ से संबंधित थी।
द गार्जियन और वाशिंगटन पोस्ट समेत 16 मीडिया संस्थानों की संयुक्त जांच में किए गए दावे के बाद पेगासस सॉफ्टवेयर से जासूसी कराए जाने के जिन्न ने भारत की सियासत में बवाल मचा दिया। रिपोर्ट के अनुसार एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कभी भी इस सूची को ‘एनएसओ पेगासस स्पाइवेयर सूची’ के रूप में पेश नहीं किया है। दुनिया के कुछ मीडिया ने ऐसा किया होगा।
इस्राइली मीडिया के मुताबिक, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अब अपने दावे से यू-टर्न ले लिया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अब कहा है, ”उसने कभी ये दावा किया ही नहीं कि यह सूची एनएसओ से संबंधित थी। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कभी भी इस लिस्ट को ‘एनएसओ पेगासस स्पाईवेयर सूची’ के तौर पर प्रस्तुत नहीं किया है। विश्व के कुछ मीडिया संस्थानों ने ऐसा किया होगा। यह लिस्ट कंपनी के ग्राहकों के हितों की सूचक है।”
एमनेस्टी ने कहा कि सूची में वो लोग शामिल हैं, जिनकी जासूसी करने में एनएसओ के ग्राहक रुचि रखते हैं। यह सूची उन लोगों की नहीं थी, जिनकी जासूसी की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, एमनेस्टी ने कहा कि जिन खोजी पत्रकारों और मीडिया आउटलेट्स के साथ वे कार्य करते हैं, उन्होंने शुरू से ही बहुत स्पष्ट भाषा में साफ कर दिया है कि यह एनएसओ की लिस्ट ग्राहकों के हितों में है।’ सीधे अर्थों में इसका मतलब उन लोगों से है, जो एनएसओ ग्राहक हो सकते हैं और जिन्हें जासूसी करना पसंद है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने किया था यह दावा
फ्रांस के एक नॉन प्रॉफिट संस्थान फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल का दावा था कि वह मानवीय स्वतंत्रता और नागरिक समाज की मदद के लिए गंभीर खतरों का पता लगाने की कोशिश करता है और उनके जवाब ढूंढता है। इस वजह से उसने पेगासस के स्पायवेयर का फॉरेंसिक विश्लेषण किया।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, उसकी सिक्योरिटी लैब ने दुनिया भर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के कई मोबाइल उपकरणों का गहन फॉरेंसिक विश्लेषण किया है। इस शोध में यह पाया गया कि एनएसओ ग्रुप ने पेगासस स्पाईवेयर के जरिए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की लगातार, व्यापक, लगातार और गैरकानूनी तरीके से निगरानी की है। फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल को एनएसओ के फोन रिकॉर्ड का सबूत हाथ लगा है, जिसे उन्होंने भारत समेत दुनियाभर के कई मीडिया संगठनों के साथ साझा किया है।
वही ऑपइंडिया के अनुसार इसके पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दावा किया था कि दुनिया भर के कई मोबाइल उपकरणों का फॉरेंसिक विश्लेषण करने पर पाया गया कि एनएसओ ग्रुप ने पेगासस स्पाइवेयर के जरिए पत्रकारों के साथ कई बड़े लोगों की गैरकानूनी तरीके से जासूसी की है। इसने इस क्रम में 10 देशों के 80 से ज्यादा पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन टैपिंग का फॉरेंसिक विश्लेषण का दावा किया था। लिस्ट में फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों सहित 14 वर्तमान या पूर्व राष्ट्राध्यक्षों के नाम होने का दावा किया गया। साथ ही पेरिस स्थित एनजीओ फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 50,000 से अधिक सेलफोन नंबरों की सूची से 1,000 से ज्यादा ऐसे व्यक्तियों की पहचान की, जिन्हें एनएसओ के ग्राहकों ने संभावित निगरानी के लिए कथित तौर पर चुना।