- पीएचसी में अपग्रेड करने की योजना पर लगा ग्रहण
मीरगंज । व्हीएसआरएस संवाददाता: शहर के करीब पचास हजार लोगों को बेहत्तर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र वर्तमान में अपनी उपयोगिता खो रही है। यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। अस्पताल में कर्मियों की घोर कमी है।
इसका नतीजा यह है कि अस्पताल के दवा काउन्टर पर फर्मास्टि के बदले चपरासी दवा वितरण करता है। कहने के लिए दो चिकित्सकों की तैनाती की गई है लेकिन एक चिकित्सक हमेशा क्षेत्र के उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर ही ड्यूटी देने में व्यस्त रहते है जबकि एक चिकित्सक के भरोसे पूरा अस्पताल छोड़ दिया गया है।
शहरी क्षेत्र में होने के बाद भी इमरजेंसी सेवा नहीं है जिससे लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। तैनात चिकित्सक भी आयुष विभाग के है। एमबीबीएस चिकित्सकों की कमी मरीजों को खलती है। दवाओं की सूची में लंबी चौंड़ी नाम है लेकिन महज 20 प्रकार की ही दवाए ही उपलब्ध है। दवाओं की कमी के कारण मरीजों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है। अस्पताल के अंदरूनी भवन को देखकर लगता है कि यह खुद वर्षो से बीमार है। यहां पर दो आयुष चिकित्सकों के अलावे दो एएनएम,एक लैब टेक्निशियन,एक लिपिक व एक चपरासी है। जबकि दो एमबीबीएस चिकित्सक,तीन एएमएन,एक फार्मास्टि की जरूरत है।
अस्पताल की बदहाली के कारण लोगों को निजी क्लीनिकों पर निर्भर रहने को विवश होना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि डिजिटल इंडिया,स्कील इंडिया,स्मार्ट इंडिया,हेल्थ फॉर ऑल,आयुष्मान भारत जैसी विभिन्न योजनाओं के बीच भी लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवा तक उपलब्ध नहीं होना प्रतिनिधियों को आईना दिखाने के लिए काफी है। लापरवाह व हांफती स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते मजबूरी में लोग निजी क्लीनिक व निजी चिकित्सक के शरण में जाने को मजबूर हैं।
पीएचसी में अपग्रेड करने की है योजना : मीरगंज एडिशनल पीएचसी को पीएचसी में अपग्रेड करने की योजना है। पिछले पांच सालों से यह योजना फाइलों में अटक कर रह गई है। करीब एक दशक से शहरवासी अस्पताल में सुविधाओं को लेकर लगातार मांग करते रहे है लेकिन उनके मांग पर कोई विचार नहीं किया गया। पिछले कार्यकाल में पूर्व मंत्री सह जदयू के वरीय नेता रामसेवक सिंह ने अस्पताल के दायरा को बढ़ाने के लिए सरकार से मांग की थी। इस मांग के तहत इसको पूर्ण रूप से पीएचसी में अपग्रेड होना था लेकिन पांच साल का समय भी बीत गया और अस्पताल अपग्रेड भी नहीं हो सका। इसके तहत नए भवन,समूचे एरिया की घेराबंदी,अत्याधुनिक मेडिकल उपकरणों से अस्पताल को लैस करना था।
क्या कहते हैं शहर वासी: मीरगंज शहर के पूर्व वार्ड पार्षद राजेश कुमार का कहना है कि एडिशनल पीएचसी में स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलने से मरीजों को हथुआ व गोपालगंज ले जाने को मजबूर होना पड़ता है। ऐसे में मरीजों के साथ अनहोनी भी हो जाती है। इतनी घनी आबादी रहने के बावजूद भी यहां के लोगों को ढंग की स्वास्थ्य सुविधा तक नहीं मिल रही है। वहीं शहर के व्यवसायी रविन्द्र केशरी का कहना है कि जन सरोकार की चिंता शासन-प्रशासन को भी नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते शहरवासियों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है। लोगों को उचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसकी व्यवस्था तत्काल ठीक करने की जरूरत है। इसी प्रकार,जुबेर आलम का कहना है कि सशक्त भारत में प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मजबूत होनी चाहिए। लेकिन असलियत में यहां हालत बिल्कुल ही दयनीय है। स्वास्थ्य केन्द्र में सुविधा नहीं मिल पा रही है। जिसके चलते लोगों को निजी अस्पताल एवं डॉक्टर से इलाज करवाना पड़ता है।
इस बारे में डॉ ओपी लाल,प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी,उचकागांव का कहना है कि अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए उपलब्ध संसाधन व कर्मियों को लगाया गया है। डॉक्टर की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही है। इसको लेकर विभाग को लिखा गया है। अस्पताल को अपग्रेड करने की योजना है लेकिन अभी इस दिशा में कोई काम नहीं हो सका है।