गोपालगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर पूरे प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। अगर हम गोपालगंज विधानसभा सीट की बात करें तों इस सीट पर बीते पंद्रह साल से भाजपा का कब्जा रहा है। भाजपा 2005 से इस सीट पर जीतती आ रही है. ऐसे में विरोधियों के लिए इस सीट पर भाजपा को हराया किसी चुनौती से कम नहीं है।
पिछले कई चुनाव से गोपालगंज में बाढ़, अपराध व गन्ना किसान चुनाव के मुद्दे हावी रहे हैं। लेकिन भाजपा यहां अपना झंडा गाड़ते आ रही है। हर चुनाव में ये मुद्दे उठते हैं. मौजूदा समय में भी बाढ़ से जिले के सैंकड़ों गांवों में तबाही व बर्बादी हुई है और सभी विपक्षी पार्टियां ये मुद्दे उछालने में लगी हैं। तेजस्वी यादव, उनके भाई तेजप्रताप और उनके मामा पूर्व सांसद अनिरूद्ध यादव उर्फ साधु यादव सरीखे नेताओं ने बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया है। ऐसे में इस बार बाढ़ पीड़ितों को लेकर एक बार फिर से सियासत होगी। जिले में पिछले कुछ साल अपराधिक घटनाओं को तूल गया है। भोरे के प्रसिद्ध व्यवसायी रामाश्रय सिंह की हत्या की घटना को एक वर्ष बाद मुद्दा बनाने का राजद, रालोसपा व जनाधिकार पार्टी में होड़ है। रूपनचक के तिहरे कांड को भी उठाया जा रहा है। लेकिन जयदू में ही मुख्य मुकाबला हो सकता है, ऐसी उम्मीद है. जिले में गन्ना प्रमुख ‘कैश क्रॉप’ है। पिछले तीन दशक में गन्ना किसान लाभकारी मूल्य नहीं मिलने, न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाने, चीनी मिलों से समय पर भुगतान नहीं होने व फसल बीमा का लाभ नहीं मिलने की समस्याओं से परेशान हैं।
आपको बताते चलें कि बीते तीन चुनाव में यहां से भाजपा के सुभाष सिंह जीत दर्ज कर रहे हैं। उन्होंने राजद के रियाजुल हक को हराया है. इससे पहले, 2000 में अनिरूध प्रसाद (RJD) ने सुभाष सिंह को मात दी थी। उस दौरान सुभाष सिंह बसपा में थे। जदयू के रामवतार ने कांग्रेस के प्रटुल दबी को 1995 में मात दी थी। 1995 में सुरेंद्र सिंह आजाद प्रत्याशी यहां से जीते थे और अंबिका प्रसाद को हराया था। 1980 में यह सीट कांग्रेस के पास थी. बिहार के पूर्व सीएम सतेंद्र नारायण भी इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं।