पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) कोरोना संकट में लॉकडाउन के दौर में कामकाज बंद होने के कारण हर दिन हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांव लौट रहे है। प्रवासी मजदूर पहले से ही पीडित,परेशान है वहीं पुणे स्टेशन में जीआरपी के कुछ पुलिस कर्मचारी इन मजदूरों को लूटने का काम कर रहे है। जब यह बात संज्ञान में आयी तो पुणे रेलवे पुलिस अधीक्षक सदानंद वायसे पाटिल ने 22 लोगों को पुणे स्टेशन से हटाकर खडकी अटैच किया। ये तो छोटी मछलियां है अभी मगरमच्छ बाकी है। उन पर कार्रवाई कब होगी? जनता सवाल पूछ रही है।
जिन पुलिस कर्मचारियों को पुणे रेलवे स्टेशन से हटाया गया उनके नाम इस प्रकार है-
सहायक पुलिस निरिक्षक जाधव,काले,सालवी,दगडे,राठोड,कुलकर्णी(सभी हवालदार) केगार,पोकले,तांबोली,टेकवडे,मंजुले,कपिले,शेख,राउत,गोसावी,अंधारे,सोनवणे,इप्पर,पवार,बोराटे,सोनावणे,कुंजीर(सभी पुलिस सिपाही)
पुणे रेलवे स्टेशन पर तैनात पुलिस कर्मचारी प्रवासी मजदूरों को आधारकार्ड,टिकट आरक्षण नहीं समेत अन्य कागजात की जांच करने के बहाने साइड में ले जाते है और ट्रेन में नहीं चढने देंगे ऐसा धमकी देकर उनसे सारे पैसे छीन लेते थे। मानवता को शर्मशार करने वाला अवैध वसूली काफी दिनों से चल रही थी। मनसे के नगरसेवक वसंत मोरे ने इस वसूली का वीडियो बनाया और प्रमाण के साथ शिकायत की। पुणे रेलवे के डीआरएम रेणू शर्मा ने राज्य के डीजीपी को इस बारे में सूचित किया। आदेश निकला और पुणे रेलवे एसपी सदानंद पाटिल ने पुलिस उपनिरिक्षक,हवालदार,कर्मचारी प के कुल 22 लोगों को पुणे स्टेशन से हटाने का निर्देश दिया। इसमें से 11 पुलिस कर्मचारियों को मुख्यालय में भेजा गया है।
इन प्रवासी मजदूरों में 70% बिहार,यूपी के श्रमिक मजदूर है। विभागीय रेलवे सलाहगार समिति सदस्य निखिल काची ने इन लूटेरे पुलिस वालों पर कडी कार्रवाई करने की मांग की है। विश्व श्रीराम सेना सामाजिक संगठना के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालबाबू गुप्ता ने रेलवे मंत्री पियूष गोयल,महाराष्ट्र के डीजीपी को ट्विट करके शिकायत की है कि पुणे रेलवे स्टेशन पर प्रवासी मजदूरों को पुलिस कर्मचारियों द्धारा लूटा जा रहा है। इस ओर गंभीरता से ध्यान दें और दोषी लोगों पर कडी कार्रवाई की जानी चाहिए। ऐसी घटनाएं मानवता को शर्मशार तो करती ही है। मानवता के मुंह पर कालिख भी पोतती है। लाचार,बेबस,दुखी,पीडित,मायूस होकर लौट रहे मजदूरों को पुणे रेलवे स्टेशन पर रक्षकों को द्धारा अगर लूटने का काम हो रहा है तो यह घोर निंदनीय है।
पुणे रेलवे स्टेशन पर प्रवासी मजदूरों को लूटने की यह पहली घटना नहीं है। इसके पहले हमने समाचार के माध्यम से पुणे रेलवे प्रशासन का ध्यानाकर्षण करा चुके है कि पुलिस कर्मचारी मजदूरों को साइड में ले जाते है और उनका मोबाइल चेक करते है। दूर खडा उनका दूसरा पुुलिस कर्मचारी अपने मोबाइल से ब्लू टूथ के माध्यम से गंदी फिल्में,वीडयो,तस्वीरें भेजकर उस भोले भाले मजदूर को फंसाते है। कार्रवाई करने की धमकी देते है। थाने में बंद करने और ट्रेन में नहीं चढने देने की धमकी देकर सारा पैसा लूट लेते थे। समाचार को संज्ञान में लेते हुए कुछ लोगों पर उस समय कार्रवाई हुई। अब लूटने का दूसरा फंडा अपनाया जा रहा है। इस लूट के काम में थानेदार से लेकर वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होते है। सबको माल पहुंचता है। केवल पुलिस कर्मचारियों पर दिखावा के लिए कार्रवाई करने से काम नहीं चलेगा। अगर गंदगी साफ करनी हो तो मगरमच्छों पर कार्रवाई हो। अगर ये बच जाते है तो फिर नई टीम खडा कर लेंगे और लूट का सिलसिला यूं ही जारी रहेगा।