मथुरा(व्हीएसआरएस न्यूज) अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बीच मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का मामला कोर्ट में पहुंच गया है। जन्मभूमि परिसर को लेकर मथुरा की कोर्ट में एक सिविल मुकदमा दायर किया गया है। इसमें 13.37 एकड़ पर दावा करते हुए स्वामित्व मांगा है और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने याचिका दायर की है। याचिका में जमीन को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया। विष्णु शंकर जैन ने बताया कि यह केस भगवान श्रीकृष्ण विराजमान,कटरा केशव देव खेवट,मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से अंतरंग सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने दाखिल किया है।
ऐक्ट के मुताबिक,आजादी के दिन 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस संप्रदाय का था,उसी का रहेगा। ऐक्ट के तहत सिर्फ रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को छूट दी गई थी। अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर भूमिपूजन के साथ ही अब मथुरा में 14 राज्यों के 80 संतों के साथ श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास की स्थापना की गई है। अयोध्या के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए आंदोलन की रणनीति पर चर्चा जोरों पर है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रस्ट के प्रमुख आचार्य देवमुरारी बापू ने कहा, हमने 23 जुलाई को हरियाली तीजफ के अवसर पर पंजीकरण कराया और वृंदावन से 11 संत आए, जो ट्रस्ट का हिस्सा हैं।
आचार्य ने आगे कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की आजादी के लिए अन्य संतों और साधुओं को जोड़ने के लिए जल्द ही एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, हस्ताक्षर अभियान के बाद, हम इस मुद्दे पर एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। हमने फरवरी में अभियान शुरू किया था, लेकिन हम लॉकडाउन के कारण आगे नहीं बढ़े। ट्रस्ट में वृंदावन के 11 पदाधिकारी नियुक्त किए गए हैं। इसके अलावा 14 राज्यों के 80 संत,महामंडलेश्वर को जोड़ा गया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी गई है, जिसमें निर्णय लिया गया है कि ट्रस्ट में वृंदावन के संत और महंतों को जोड़ने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।
मथुरा में शाही ईदगाह है विवाद का विषय
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में मुख्य विवाद का विषय शाही ईदगाह है, जो मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास पहले से ही मस्जिद के बगल में साढ़े चार एकड़ भूमि पर दावा कर रहा है और चाहता है कि इसे और मंदिर के अधिकारियों द्वारा आयोजित धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों के लिए रंग मंच के रूप में इस्तेमाल किया जाए।