बागपत(व्हीएसआरएस न्यूज) बागपत की चीनी मिलें नए पेराई सत्र की तैयारियों में जुटी हैंमगर, अब तक पिछले पेराई सत्र का पूरा भुगतान नहीं हो सका है। पश्चिमी यूपी की 12 चीनी मिलों पर जिले के किसानों के 626 करोड़ 48 लाख रुपये बकाया हैं।
किसानों के खाते में अब तक 52.68 प्रतिशत भुगतान ही पहुंचा है। जाहिर है कि करीब आधा भुगतान चीनी मिलों पर बकाया है। कोरोना काल में आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे किसानों को बकाया भुगतान मिलेतो राहत मिल सकेगी। बाजार और व्यापार को भी इसके बाद ही लाभ होगा।
भुगतान के इंतजार में सवा लाख किसान
जिले के एक लाख 24 हजार 264 किसानों ने इन 12 चीनी मिलों को गन्ना सप्लाई किया है। किसानों का कहना है कि भुगतान नहीं होने से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों ने मिलों को 412 लाख क्विंटल गन्ने की सप्लाई की थी।
क्या कहते हैं किसान
– भाकियू के जिलाध्यक्ष प्रताप गुर्जर का कहना है कि किसानों को भुगतान के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। किसानों को बकाए पर ब्याज मिलना चाहिए। सरकार की कथनी और करनी में अंतर हैं।
– भारतीय किसान संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अन्नू मलिक का कहना है कि भाजपा सरकार खेती और किसानी के मोर्चे पर फेल साबित हुई है। किसानों को बकाया भुगतान नहीं मिल रहा है। अगर बकाया भुगतान मिल जाए तो बाजार की स्थिति भी सुधरेगी।
किस चीनी मिल पर कितना बकाया
चीनी मिल
भुगतान
बागपत
2994.63
रमाला
7868.57
मलकपुर
30294.91
किनौनी
11802.39
दौराला
22.24
नंगला मल
10.47
तितावी
175.24
खतौली
151.15
भैसाना
4521.74
ऊन
1939.96
ब्रजनाथपुर
223.22
मोदीनगर
2644.09
नोट- आंकड़े लाख रुपये में और 31 अगस्त तक के हैं।
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कुल ट्यूबवेल कनेक्शन
– 29 हजार 905
कुल बकाया धनराशि
– करीब 173 करोड़
बकाया गन्ना भुगतान सहित अनेक समस्याओं से किसान जूझ रहा है।सिनौली गांव के किसान नरेन्द्र का कहना है कि मलकपुर मिल पर गन्ने का लगभग डेढ़ से दो लाख रुपये बकाया है, जिस कारण परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है।
फतेहपुर पुट्ठी गांव के किसान मनोज व देवराज का भी मलकपुर चीनी मिल पर लाखों रुपये गन्ने का बकाया है, ऐसे में उन्हें उधारी लेकर परिवार का पालन-पोषण करना पड़ रहा है। कहा कि सरकार भी कुछ मदद नहीं कर रही है। विद्युत निगम के अधिकारी बिजली बिल जमा करने का दबाव बना रहा है। कनेक्शन काटने और रिपोर्ट दर्ज कराने की भी धमकी दी जा रही है।
बड़ौत तहसील क्षेत्र में एक्सईएन प्रथम व एक्सईएन द्वितीय से हर माह लगभग 30 करोड़ की सप्लाई दी जाती है। उसके बदले महीने में कुल 12 से 14 करोड़ का रेवेन्यू मुश्किल से जमा होता है। ऐसी स्थिति में लगभग 16 करोड़ का हर माह नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में यदि लोग बिजली बिल जमा नहीं करेगा तो आने वाले समय में स्थिति और विकट हो जाएगी