व्हीएसआरएस न्युज नई दिल्ली
कर्ज और घाटे में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक का कामकाज अब आरबीआई ने अपने हाथ में ले लिया है. बैंक के संचालन के लिए RBI ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. इससे पहले यस बैंक में नकदी संकट बढ़ने पर भी आरबीआई के निर्देश पर एसबीआई के पूर्व अधिकारी को संचालन का जिम्मा सौंपा गया था. बयान के अनुसार आरबीआई ने 27 सितंबर को सीओडी को नियुक्त किया था. इसमें तीन स्वतंत्र निदेशक मीता मखान, शक्ति सिन्हा और सतीश कुमारा कालरा हैं. समिति की अध्यक्ष मीता मखान हैं. बैंक के सभी निदेशकों और एमडी सीईओ के अधिकारों को भी खत्म कर दिया गया है.
लंबे समय से था पूंजी संकट– लक्ष्मी विलास बैंक ने सोमवार को बताया कि आरबीआई की ओर से बनाई गई तीन सदस्यीय स्वतंत्र निदेशक समिति अंतरिम तौर पर बैंक के एमडी-सीईओ का कामकाज देखेगी. बता दें कि शुक्रवार को बैंक के शेयरधारकों की वार्षिक महासभा में वोट के आधार पर बैंक के एमडी सीईओ समेत सात निदेशकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. बैंक काफी समय से पूंजी संकट से जूझ रहा था और इसके लिए उसे अच्छे निवेशकों की तलाश की जा रही थी.
आकड़ों के मुताबिक, इस साल की जून तिमाही में बैंक के पास कुल जमा पूंजी 21,161 करोड़ रुपए थी. एलवीएस बैंक का गठन 1926 में हुआ था. देशभर में बैंक की 16 राज्यों में 566 शाखाएं और 918 एटीएम चल रहे हैं.
RBI ने पहले भी उठाएं हैं कदम- इससे पहले, RBI कई बैंकिंग संस्थानों का अन्य बैंकों के साथ विलय कर उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर चुका है. इसमें ICICI बैंक और बैंक ऑफ राजस्थान एक सफल उदाहरण है. वहीं, बैंक के विलय पर 15 सितंबर को एलवीबी ने बताया था कि दोनों कंपनियों ने विलय के लिए आपसी देयता को काफी हद तक पूरा कर लिया है. बता दें कि बैंक ने पहले इंडियाबुल्स के साथ विलय करने की भी कोशिश की थी, जिसे आरबीआई की अनुमति नहीं मिली थी. बैंक की एनबीएफसी (NBFC) के साथ अनौपचारिक बातचीत भी हुई, लेकिन बात नहीं बन सकी.
कर्ज वसूली में बैंक रहा नाकाम- बैंक पिछली 10 तिमाहियों से घाटे में चल रहा है और आरबीआई ने पिछले साल सितंबर 2019 में त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की शुरुआत की थी, जो बैंक को अतिरिक्त पूंजी देने, कॉर्पोरेट्स को उधार देने, एनपीए (NPA) कम करने और प्रोविजन कवरेज में 70 फीसदी के अनुपात तक सुधार करने का काम करती है. कर्ज वसूली में नाकाम रहने और बढ़ते एनपीए की वजह से आरबीआई ने सितंबर, 2019 में बैंक को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे में डाल दिया था.
ग्राहकों का पैसा है सुरक्षित- बैंक ने अपने सभी ग्राहकों को विश्वास दिलाया है कि मौजूदा संकट में उनकी जमाओं पर किसी रूप से प्रभाव नहीं पड़ेगा. खाताधारक, बॉन्ड धारक, जमाकर्ता और लेनदारों की संपत्ति 262 प्रतिशत तरलता सुरक्षा अनुपात के साथ सुरक्षित है. बताया गया है कि रिजर्व बैंक की ओर से तरलता सुरक्षा अनुपात सौ फीसदी होता है, जबकि बैंक पास इससे ढाई गुना ज्यादा आरक्षित पूंजी है. ऐसे में बैंक की नई संचालन समिति भविष्य में जो भी फैसला लेगी उसे सार्वजनिक तौर पर बतलाया जाएगा.