पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पश्चिमी महाराष्ट्र और कोंकण के 500 से अधिक उद्यमियों ने कंपनी के पंजीकरण कार्यालय में कंपनी को बंद करने के लिए आवेदन किया है। यह समझा जाता है कि उद्यमियों द्वारा यह निर्णय लिया गया था कि माल और सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन में देरी साथ ही साथ आर्थिक मंदी के कारण। यदि कंपनी संबंधित कंपनी के पंजीकरण कार्यालय के साथ अपने पंजीकरण के एक साल के भीतर परिचालन शुरू नहीं कर पाई है। कंपनी को निष्क्रिय कंपनी घोषित नहीं किया गया है, तो कंपनी को हटाने के लिए कंपनी अधिनियम में प्रावधान है।
अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार 500 से अधिक कंपनियों ने पिंपरी में पंजीकरण कार्यालय में आवेदन किया है। इस कार्यालय में पुणे,पश्चिमी महाराष्ट्र और रत्नागिरी,सिंधुदुर्ग जिले शामिल हैं। कंपनियों से संबंधित सभी कार्य इसी कार्यालय से किए जाते हैं। कंपनी पंजीकरण कार्यालय द्वारा प्राप्त आवेदनों में से 175 कंपनियों को डी-पंजीकृत किया गया है और आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं। उसके लिए 30 दिनों की अवधि है। इसके बाद संबंधित को आपत्तियों पर सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी होते ही आगे के आदेश जारी किए जाएंगे। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम के लागू होने और आर्थिक मंदी को लेकर असमंजस केंद्र सरकार के फैसले से उद्यमियों को भारी धक्का लगा।
जिन कंपनियों ने आवेदन किया है उनमें से अधिकांश के बारे में कहा जाता है कि वे आर्थिक मंदी के गर्त में पाए गए और दो साल तक बंद रहे। यदि कंपनी की संपत्ति कम है और देनदारियां अधिक हैं,तो कंपनी को वित्तीय प्रक्रिया के अनुसार परिसमापन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। यह देखा जाना बाकी है कि क्या बैंकों को धोखा देने के लिए कंपनी को बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई है क्योंकि कंपनियों को इन मामलों में लेन-देन नहीं किया गया है। नोटबंदी और वित्तीय कठिनाइयों के कारण,कई कंपनियां दो साल तक दुविधा में रहीं। यह कंपनियों के अनुप्रयोगों में परिलक्षित होता है। मूल्यवर्ग और जीएसटी कार्यान्वयन के बीच की उलझन ने कई कंपनी मालिकों को वित्तीय परेशानी में डाल दिया है। ऐसे तमाम कारणों से 500 कंपनियां बंद होने जा रही है।