औरंगाबाद(व्हीएसआरएस न्यूज) बच्चों के पालन पोषण में माता पिता अपना सब कुछ न्यौछावर कर देते है। एक छींक आने पर रात रात भर जागते है। खुद भूखे रहते है मगर अपने बच्चों को निवाला खिलाकर सुलाते है। माता पिता भगवान का दूसरा रुप है। यही बच्चे जब बडे हो जाते हैं और माता पिता बूढे तो हाथ छोड देते है साथ छोडे देते है। नए जीवन संगनी के साथ अलग हो जाते है माता पिता बोझ लगने लगते है। बच्चे का जन्म होता है तो माता पिता खुशियां मनाते है और जब माता पिता बूढे हो जाते है तो वही बच्चे अपने ही जन्मदाता के मरने का इंतजार करते है।
महाराष्ट्र के लातुर जिला परिषद ने एक ऐसा मिसाल पेश की है जो नालायक कपूतों के लिए किसी सबक से कम नहीं। माता पिता की देखभाल न करने वाले कर्मचारियों की 30 फीसदी वेतन काटने की सज दी है। जिला परिषद ने ऐसे 7 कर्मियों के वेतन 30 फीसदी कटौती करना शुरु कर दी है। लातुर जिला परिषद के अध्यक्ष राहुल बोंद्रे ने बताया कि 12 कर्मचारियों के खिलाफ माता पिता की उपेक्षा,अनदेखी करने की शिकायत मिली थी। इसमें से 6 कर्मचारी अध्यापक है।
माता-पिता के खातों में ट्रांसफर की गई रकम
राहुल बोंद्रे ने ने बताया कि कटौती की गयी राशि इन कर्मियों के माता-पिता के बैंक खातों में स्थानांतरित कर दी गयी। पिछले साल नवंबर में लातुर जिला परिषद की महासभा ने अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करने वाले कर्मियों के वेतन में 30 फीसदी कटौती करने का एक प्रस्ताव पारित किया था। बोंद्रे ने बताया कि दोषी कर्मियों के मासिक वेतन से कटौती दिसंबर,2020 से शुरू हो गयी।