पुणे (व्हीएसआरएस न्यूज) एलगार परिषद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने अपने चार्जशीट में प्रतिबंधित माओवादी संगठन को मिलने वाली फंडिंग के बारे में विवरण दर्ज कराया है। माओवादी संगठन को सालाना 3 करोड की फंडिंग,हथियारों के स्रोत और उनके संचार नेतटवर्क्स का विवरण दिया है। महाराष्ट्र,छत्तीसगढ,मध्यप्रदेश जोन में वार्षिक 3 करोड रुपये की फंडिंग मिली है। फंड का उपयोग माओवादी गतिविधियों के लिए करते है।
फंडिंग का जो जरिया बताया गया वो कारोबारियों-आदिवासियों से टैक्स वसूली है। संगठन के सदस्य आदिवासी ठेकेदारों से टैक्स वसूलते है। तेंदू पत्ते के प्रत्येक बैग पर 350 रुपये का टैक्स माओवादियों को देना पडता है। इसे दूसरी भाषा में जंगल टैक्स कहा जाता है। आदिवासी इलाकों के ग्रामीण अपनी कमाई से सालाना कुछ न कुछ दान करते है। बांस के कारोबारियों से भी टैक्स वसूलते है। सुरक्षाबलों से हथियार गोलबारुद लूटते है और उसी का इस्तेमाल करते है। कारोबारियों से जिलेटिन खरीदकर सोडा-सल्फर के मिश्रण से विस्फोटक तैयार करते है।
संचार के लिए चिट्ठी और वॉकी-टॉकी
इसके अलावा कैल्शियम-अमोनियम नाइट्रेट मिलाकर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) बनाते हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच संदेशों के आदान-प्रदान के लिए वॉकी-टॉकी या चिट्ठियों का इस्तेमाल किया जाता है। बात करने के लिए मोबाइल फोन्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता लेकिन डेटा डाउनलोड करने या फिर इमेल्स अपलोड करने के लिए ही फोन का इस्तेमाल किया जाता है। चार्जशीट में बताया गया है कि कभी-कभार नक्सली संगठन बातचीत के लिए मिलिशिया के फोन्स का इस्तेमाल करते हैं।
असली नाम का इस्तेमाल नहीं
माओवादी संगठन में सदस्य एक-दूसरे का असल नाम नहीं लेते हैं। हर किसी के लिए एक छद्म नाम होता है। वे आपस में इसी नाम से एक-दूसरे को पुकारते हैं। चार्जशीट में बताया गया है कि फरार आरोपी मिलिंद तेलतुंबड़े का छद्मनाम मसाहिलफ था, जिससे उनके साथी उन्हें बुलाते थे। माओवादी संगठन के कथित आंतरिक कामकाज के बारे में जानकारी देने वाले एक अन्य गवाह ने एनआईए को बताया कि कबीर कला मंच के गिरफ्तार किए दो आरोपियों रमेश गाइचोर और सागर गोरखे ने साल 2012 में गढ़चिरौली के जंगलों का दौरा किया था।
गवाहों ने दावा किया कि अर्बन सीपीआई (माओवादी) के रूप में 20 दिन के अपने प्रवास के दौरान उन्हें फिजिकल ट्रेनिंग दी गई। इसके अलावा उन्हें हथियारों के इस्तेमाल का भी बुनियादी प्रशिक्षण दिया गया था।