पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पिछले चार दिनों से हो रही बारिश से किसानों की फसलें बर्बाद हो गई।घरों का नुकसान हुआ और राज्यभर में 28 लोगों ने अपनी जानें गंवाई। कई पशुओं के मरने की खबर है। महाराष्ट्र में आज दिन भर किसान पॉलिटिक्स देखने को मिली। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच किसान पॉलिटिक्स देखने को मिली। कौन सबसे बडा किसान शुभचिंतक इसकी रेस दिखी। उद्धव सोलापुर में बारिश से बर्बाद किसानाेंं की फसलों का नुकसान का जायजा ले रहे थे तो देवेंद्र शरद पवार के गढ बारामती के दौंड में जायजा लेने पहुंचे। उद्धव के साथ राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात और राहत एवं पुनर्ववसन मंत्री विजय वडेटिवार सोलापुर के अक्कलकोट के तहसील के दौरे पर नजर आए।
सोलापुर के सांगवी गांव में स्थिति की समीक्षा करने के बाद मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। ठाकरे का काफिला बारिश प्रभावित गांव के निकट जब पुल के पास पहुंचा तो मुख्यमंत्री वाहन से बाहर निकले और उन्होंने पुल पर खड़े होकर स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान कुछ ग्रामीणों ने नाखुशी जाहिर की और कहा कि मुख्यमंत्री को स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रभावित स्थलों पर आना चाहिए। हालांकि मुख्यमंत्री ने सांगवी गांव में रास्ते में कुछ ग्रामीणों से बातचीत की और आश्वासन दिया कि सरकार उनके साथ है और सहायता मुहैया कराएगी। उन्होंने ग्रामीणों को मदद का आश्वासन देते हुए कहा कि परेशान न हो, हर संभव सहायता पहुंचाई जाएगी।
इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बारामती के आसपास और पुणे जिले के दौंड तहसील का मुआइना किया और मुख्यमंत्री से तत्काल राहत पैकेज जारी करने की मांग की। फडणवीस यहां कुछ खेतों में गए और भारी बारिश से फसलों को पहुंची क्षति पर नजर डाली और कहा कि केंद्र सरकार मदद को तैयार है लेकिन राज्य सरकार को प्रभावित किसानों की मदद करने की प्राथमिक जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटना चाहिए। फडणवीस ने कहा,जब मैं पिछले साल मुख्यमंत्री था और राज्य में बाढ़ आई तो मैंने बिना केंद्र सरकार के कोष के बारे में सोचे 10,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी। उनसे जब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा मुख्यमंत्री को लिखी गई चिट्ठी पर रांकापा प्रमुख शरद पवार की टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, क्या यह समय राज्यपाल पर हमले का है? मतभेद तब भी होते हैं जब राज्य और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार रहती है।