पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र में पशु संवर्धन अधिनियम कानून 1976 से लागू है। लेकिन पशु तस्करों और कसाई बिना खौफ के गोवंशों की तस्करी व कत्लखानों में चोेरी छुपे गोमांस बिक्री करने का धंधा धडल्ले से कर रहे है। इनको किसका आशीर्वाद प्राप्त है? यह बडा सवाल है।
आज तडके 5 बजे गोरक्षकों ने पुणे जिले के आलेफाटा से एक निजी गाडी में गोतस्करों द्धारा ले जा रहे 40 बछडों को उनके शिकंजे से छुडाकर पुलिस के हवाले किया। पुलिस ने सभी बछडों को मोशी स्थित पांजरपोळ(गोशाला) में स्थानांतरित किया। साथ ही गाडी और बछडों समेत गाडी को जब्त किया। बाबूलाल विष्णोई नामक गोरक्षक ने हमारे संवाददाता को बताया कि आज सुबह 5 बजे अपने कुछ गोरक्षक और गोसेवकों के साथ आलेफाटा में खडे थे। उनको गुप्त जानकारी मिली थी कि एक प्रायवेट गाडी में कुछ बछडों को काटने के लिए ले जाया जा रहा है। गाडी की जांच करते समय 40 गाय के बछडे दिखाई दिए। चालक से पूछने पर बताया कि एक डेअरी से दूसरे डेअरी ले जाया जा रहा है। पुलिस को खबर देने पर मौके वारदात पर पुलिस पहुंची तो तस्कर भाग निकले। गोरक्षक ने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले भी 4 बछडे और 3 गायों को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया गया था। लेकिन हैरानी की बात यह है कि पुलिस इन तस्करों पर कोई सख्त कार्रवाई न करते हुए इन्हें छोड देती है। अब सवाल उठता है कि किसके दबाव में तस्करों को छोडा जाता है और किसके आशीर्वाद से गोवंश तस्करी और हत्या का अवैध कारोबार धडल्ले से चलाया जा रहा है,तो साथ ही यह भी सवाल उठता है कि क्या हमारी लचर कानून व्यवस्था का यह परिणाम है?
- गोरक्षकों की मांग,महाराष्ट्र में लगे सख्त कानून
गोमाता और गोरक्षकों की सुरक्षा हो,गोभक्तों की मांग
जान पर खेलकर करते रहेंगे गोमाता की रक्षा
महाराष्ट्र में कब बंद होगी गोवंश की हत्या,बडा सवाल?
आए दिन गोरक्षकों द्धारा छुडाए जा रहे कसाईयों से गोवंश
पुणे जिले में पशु तस्करों का बोलबाला,प्रशासन की चुप्पी
हमारे संवाददाता से बात करते हुए गोरक्षक ने कहा कि हम अपनी जान हथेली पर लेकर गोमाता की रक्षा करते है,और करते रहेंगे। परंतु आए दिन हमें इन तस्करों से धमकियां मिलती रहती है। कभी कभी हमें सोशल मीडिया और न्यूज के माध्यम से जानकारी प्राप्त होती है कि तस्करों और गोरक्षकों के बीच मारपीट हुई जिसमें गोरक्षक जख्मी हो जाते है। हमारी सरकार से मांग है कि हमें सुरक्षा प्रदान करें या हमारे द्धारा दी गई जानकारी के समय पर्याप्त संख्या में पुलिस का सहयोग प्राप्त होता रहे ताकि हम गोमाता की रक्षा कर सके। परंतु इस कार्रवाई में तस्करों को उनके आकाओं द्धारा बचाया जाता है। राजनीति में हमारी गोमाता कटती रहती है। ऐसी वेदना गोरक्षक बाबूलाल विष्णोई ने हमारे संवाददाता से व्यक्त की।
आपको बताते चलें कि महाराष्ट्र में पशु संवर्धन कानून 1976 से लागू है। यह कानून एक गैरजमानती है। जिसमें पशु व पशुवध कोशिश करने वालों को 6 माह से लेकर 5 साल की सजा का प्रावधान है। साथ ही 1000-10,000 रुपये का जुर्माना या दोनों साथ साथ सजा का प्रावधान है। गोमांश या गोमांस उत्पाद रखने के लिए 1 साल कैद और 2 हजार रुपये का जुर्माना है। लेकिन इस कानून का शायद तस्करों में कोई खौफ नहीं दिखाई दे रहा है। गोरक्षकों की मांग है कि इस कानून को और सख्त किया जाए जैसे कि उम्र कैद या फांसी। ताकि तस्करों में कानून का डर बना रहे। आश्चर्य इस बात का है कि पुणे जिले में पशु तस्कर,वध का सिलसिला जारी है। आए दिन तस्करों से गोवंश,बछडों को छुडाने का काम होता है।गोरक्षकों को तस्कर आसानी से मिल जाते है लेकिन हमारी पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगती ऐसा क्यों? आखिरकार कब तक पुणे जिले और पूरे महाराष्ट्र में तस्करों का बोलबाला रहेगा और हमारी शासन-प्रशासन कब तक चुप्पी साधे बैठी रहेगी।