दिल्ली| व्हीएसआरएस न्यूज: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में बुधवार देर शाम अचानक आग लग गई। आग की लपटें और धुआं काफी दूर से नजर आ रहा था। सूचना पर पुलिस और फायर बिग्रेड की टीम मौके पर पहुंची। इस दौरान फायर बिग्रेड की 22 गाड़ियों की मदद से आग पर काबू पाया गया। जानकारी के मुताबिक एम्स के इस हिस्से में मरीजों का वार्ड नहीं था। दिल्ली एम्स को एक बार फिर करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है।
यहां कोरोना की जांच, अध्ययन और सिक्वेसिंग से जुड़े तमाम संसाधन भी जल गए हैं। बुधवार रात शार्ट सर्किट के चलते कन्वर्जेंश ब्लॉक की नौंवी मंजिल पर लगी आग में बीएसएल-2 और बीएसएल-3 स्तर की लैब खत्म हो चुकी हैं। आरटीपीसीआर और सीबीनैट मशीनें तक जल गईं। देर रात आग पर काबू पाने के बाद एम्स प्रबंधन ने सुबह होने से पहले ही कबाड़ हटा दिया। बृहस्पतिवार को इसी ब्लॉक के परीक्षा विभाग में एमडी की परीक्षा भी संपन्न हुई।
मिली जानकारी के अनुसार 17 अगस्त 2019 को जब एम्स के टीचिंग ब्लॉक में आग लगी थी तब भी विभाग की कई लैब, सैंपल और अत्याधुनिक तकनीकों से लैस मशीनें बर्बाद हो गई थीं। जिन्हें दोबारा तैयार करने में सालों इंतजार करना पड़ सकता है। अब भी इस ब्लॉक में उस घटना के निशान बाकी हैं और यहां लंबे समय से निर्माण कार्य चल रहा है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग के ही एक कर्मचारी ने बताया कि कन्वर्जेंश ब्लॉक में नौ मंजिल हैं। पहली मंजिल पर परीक्षा विभाग है।
दूसरी पर ई-लर्निंग और कौशल विकास संबंधी करोड़ों रुपये की अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं हैं। आठवीं और नौंवी मंजिल पर माइक्रोबायोलॉजी की लैब हैं क्योंकि टीचिंग ब्लॉक में आग लगने के बाद पूरा विभाग यहीं से अस्थायी तौर पर चल रहा है। उन्होंने बताया कि यहां अत्याधुनिक लैब थीं जिन्हें बनाने में करोड़ों रुपये का बजट और लंबा समय लगता है। एम्स के पास देश के अन्य अस्पतालों की तुलना में सबसे बेहतर लैब थीं जिनकी मदद से अब तक कोरोना महामारी से लड़ा जा रहा था, लेकिन फिलहाल सब नष्ट हो चुका है। दोनों मंजिल पर बड़े नुकसान की आशंका जताई गई है।
वहीं लेब्रोरेटरी मेडिसिन के एक कर्मचारी ने बताया कि बैकलॉग के चलते सैंपलिंग इत्यादि को नुकसान हुआ है। सिक्वेसिंग को लेकर भी यहां काम चल रहा था। अभी कुछ उच्च स्तरीय लैब सुरक्षित हैं जहां काम किया जा सकता है लेकिन वहां प्रबंधन को विशेषतौर पर अनुमति देनी होगी। इन्होंने भी स्वीकार किया कि बुधवार की आग ने एम्स को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने बताया कि नौंवी मंजिल पर रात 10 बजे तक जांच इत्यादि का काम चल रहा था, इसीलिए वहां आग लगने से पहले रेजीडेंट जा चुके थे अन्यथा बड़ी अनहोनी हो सकती थी। वहीं एम्स प्रबंधन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आगजनी में नुकसान हुआ है लेकिन सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। हालांकि उन्होंने इससे अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया।
झज्जर भेजने पड़ रहे सैंपल
इस बारे मे एम्स के एक कर्मचारी ने बताया कि आग की घटना के बाद फिलहाल झज्जर स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनआईसी) के लिए सैंपल भेजने पड़े रहे हैं। पहले एम्स आरटीपीसीआर के अलावा सीबीनैट मशीन का भी प्रयोग करते हुए जांच रिपोर्ट दे रहा था। एम्स के पास मुख्य अस्पताल और ट्रामा सेंटर से ही आने वाले सैंपल की संख्या काफी रहती है। ऐसे में अब चुनौतियां विभाग और प्रबंधन दोनों के आगे बढ़ी हैं।