दिल्ली। व्हीएसआरएस न्यूज : कल 21 सितंबर से पितृ पक्ष का प्रारंभ हो रहा है। इस वर्ष पितृ पक्ष 21 सितंबर से लेकर 06 अक्टूबर तक रहेगा। आज पितृ पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानी पूर्णिमा श्राद्ध है। जिन लोगों के स्वजन का स्वर्गवास इस तिथि को हुआ है, वे उनकी आत्म तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म होता है, जिसमें तर्पण प्रमुख होता है।
आज नहीं कल से शुरु है पितृ पक्ष
कई जगहों पर लोग आज से ही पितृ पक्ष का प्रारंभ मान रहे हैं, लेकिन ऐसा उचित नहीं है। आज पूर्णिमा तिथि है, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। पितृ पक्ष का प्रारंभ हमेशा ही आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से होती है, जो अमावस्या तक चलती है।
हालांकि शास्त्रों में इस बात का वर्णन है कि पूर्णिमा तिथि पर आप नाना पक्ष के पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं। वे लोग जो अपने नाना पक्ष का श्राद्ध करना चाहते हैं, वे आज कर सकते हैं। नाना पक्ष उनको माना जाता है, जिनके नाना पक्ष का कोई वंश बढ़ाने वाला न हो। एक बार फिर स्पष्ट कर दूं कि पितृ पक्ष का प्रारंभ आज नहीं, कल से हो रहा है।
आइए जानते हैं कि पितरों के तर्पण की सही विधि क्या है? एक व्यक्ति को किन लोगों को तर्पण करना चाहिए? तर्पण करने का मंत्र आदि क्या है?
पितृ पक्ष में इनका करें तर्पण
पितृ पक्ष में कोई भी व्यक्ति अपने माता-पिता के अलावा दादा (पितामह), परदादा (प्रपितामह), दादी, परदादी, नाना (मातामह), नानी (मातामही), चाचा, ताऊ, भाई-बहन, बहनोई, मामा-मामी, मौसा-मौसी, गुरु, गुरुमाता आदि की आत्म तृप्ति के लिए तर्पण कर सकता है।
पितृ पक्ष में तर्पण की सही विधि
- स्नान आदि के बाद आप सबसे पहले पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुशा के मोटक पर अक्षत् से देव तर्पण करें। इस दौरान जनेऊ बाएं कन्धे पर रखें।
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इसके बाद उत्तर की ओर मुख कर अपना जनेऊ गले में माला की तरह पहन लें। इसके बाद कुश से पानी में जौ डालें और ऋषि-मनुष्य तर्पण करें।
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अब अन्त में जनेऊ दाएं कन्धे पर रख लें। फिर दक्षिण की ओर अपना मुख करें। इसके बाद बायां पैर मोड़कर कुश से पानी में काला तिल डालें और पितरों का तर्पण करें।
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यदि आप किसी पुरुष के लिए तर्पण कर रहे हैं तो “तस्मै स्वधा” का उच्चारण करें।
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यदि आप किसी स्त्री के लिए तर्पण कर रहे हैं तो “तस्यै स्वधा” का उच्चारण करें।
अपने देव-ऋषि-पितर का तर्पण करने के बाद आप चाहें, तो कुल या समाज के उन लोगों के लिए भी तर्पण कर सकते हैं जिनकी कोई संतान नहीं है। ऐसा करने से उनकी आत्म तृप्त होगी और आपको आशीष मिलेगा। इसके लिए आप एक गमछे के कोने में काला तिल लें, उसे पानी से भिंगो दें। इसके बाद उसे बाईं ओर निचोड़ दें। इस दौरान नीचे दिए मंत्र का उच्चारण करें।
“ये के चास्मत्कूले कुले जाता,
अपुत्रा गोत्रिणो मृता।
ते तृप्यन्तु मया दत्तम
वस्त्र निष्पीडनोदकम।।
हालांकि आप और बेहतर तरीके से तर्पण करना चाहते हैं तो इसके लिए पुस्तक नित्य-कर्म विधि ले सकते