दिल्ली। व्हीएसआरएस संवाददाता: 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को संवैधानिक रूप से राजभाषा का दर्जा दिया गया था। संविधान के अनुच्छेद 343 में उल्लेख किया गया है कि देवनागरी लिपि के साथ हिंदी भारत की राजभाषा होगी। इसके बाद हर क्षेत्र में हिंदी को प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से हर 14 सितंबर को देश में हिंदी दिवस मनाया जाने लगा।
संविधान में 14 भाषाओं संग स्वीकारी गई हिंदी
26 जनवरी, 1950 को जब हमारा संविधान लागू हुआ, तब देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी सहित 14 भाषाओं को आधिकारिक भाषाओं के रूप में आठवीं सूची में रखा गया। संविधान के अनुसार, 26 जनवरी 1965 को अंग्रेजी की जगह हिंदी को पूरी तरह से देश की राजभाषा बनाना था। उसके बाद विभिन्न राज्यों और केंद्र को आपस में हिंदी में ही संवाद करना था।
इसे आसान बनाने के लिए संविधान ने 1955 और 1960 में राजभाषा आयोगों के गठन का भी आह्वान किया। इन आयोगों को हिंदी के विकास पर रिपोर्ट देनी थी और इन रिपोर्टों के आधार पर संसद की संयुक्त समिति द्वारा राष्ट्रपति को इस संबंध में कुछ सिफारिशें करनी थीं।
फिर शुरू हुआ बवाल और 1963 में हो गया बदलाव
इस बीच दक्षिण भारत के राज्यों में रहने वाले लोगों को डर था कि हिंदी के आने से वे उत्तर भारतीयों की तुलना में विभिन्न क्षेत्रों में कमजोर स्थिति में होंगे। हिंदी विरोधी आंदोलन के बीच वर्ष 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया, जिसने 1965 के बाद अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा के रूप में प्रचलन से बाहर करने का फैसला पलट दिया।
हालांकि, हिंदी का विरोध करने वाले इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू या उनके बाद इस कानून में मौजूद कुछ अस्पष्टताएं फिर से उनके खिलाफ जा सकती हैं।
हिंसात्मक आंदोलन के कारण 1967 में अंग्रेजी पुन: लौटी
26 जनवरी, 1965 के दिन हिंदी देश की आधिकारिक राजभाषा बन गई। इसके बाद दक्षिण भारत के राज्यों, विशेष रूप से तमिलनाडु (तब मद्रास) में आंदोलन और हिंसा का जबरदस्त दौर चला। कई छात्रों ने आत्मदाह तक किया। इसके बाद तत्कालीन लाल बहादुर शास्त्री की कैबिनेट में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं इंदिरा गांधी के प्रयासों से इस समस्या का समाधान निकाला गया, जिसके परिणामस्वरूप 1967 में राजभाषा अधिनियम में संशोधन किया गया। इस संशोधन में तय हुआ कि गैर-हिंदी भाषी राज्य जब तक चाहे, तब तक अंग्रेजी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में आवश्यक माना जाए। इस संशोधन के माध्यम से आज तक यह व्यवस्था जारी है।
अंग्रेजी हावी हो गई, हिंदी 14 सितंबर तक सीमित
तब से हिंदी कागजी तौर पर तो राजभाषा बनी रही, लेकिन अंग्रेजी भाषा फली-फूली और समृद्ध होती गई। धीरे-धीरे देश की सरकारी मशीनरी ने हिंदी पर अंग्रेजी को तरजीह देते हुए उसी का चोला ओढ़ लिया। इसके बाद सरकारी व्यवस्था पर अंग्रेजी भाषा की पकड़ आधिकारिक तौर पर और मजबूत होती गई। 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को जब राजभाषा का दर्जा दिया गया और इससे संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधान संविधान के भाग-17 में किए गए।
इस ऐतिहासिक महत्व के कारण राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा 1953 से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिन हिंदी के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के लिए आयोजन किए जाते हैं।
2014 में सत्ता बदलने के बाद आया बड़ा बदलाव
सत्ता और समय के साथ-साथ कई चीजें बदलती हैं। 2014 में जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा नीत एनडीए सरकार बनी तो सियासत से राज-काज और विदेश नीति तक में हिंदी भाषा को तरजीह मिलने लगी। प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों द्वारा अधिकांश संवाद और ट्वीट भी हिंदी में किए जाने लगे।
प्रधानमंत्री भी वैश्विक मंचों पर हिंदी को बढ़ावा देते रहे। और तो और अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी हिंदी भाषा को प्राथमिकता दी गई। किशोरावस्था तक बच्चों की पढ़ाई अपनी मातृभाषा में कराने के साथ ही इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा पाठ्यक्रम भी हिंदी भाषा में शुरू किए जा रहे हैं।
कई राज्यों की मुख्य भाषा: उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में हिंदी बोलचाल की मुख्य भाषा है। झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कुछ अन्य राज्यों में भी हिंदी प्रमुखता से बोली जाती है।
53 करोड़ है भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या
अहम बातें
- फिजी, मारीशस, गुयाना, सूरीनाम में हिंदी को अल्पसंख्यक भाषा का दर्जा मिला है
- अमेरिका में 30 से ज्यादा विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों में हिंदी पढ़ाई जाती है
- जर्मनी के 15 शिक्षण संस्थानों ने हिंदी भाषा और साहित्य के अध्ययन को अपनाया है
- ब्रिटेन की लंदन यूनिवर्सिटी, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और यार्क यूनिवर्सिटी में भी हिंदी पढ़ाई जाती है
- भारत को बेहतर तरीके से जानने के लिए दुनियाभर में करीब सवा सौ शिक्षण संस्थानों में हिंदी का अध्ययन-अध्यापन होता है
तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा: दुनियाभर में हिंदी तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके 70 करोड़ लोग बोलते हैं। 1.12 अरब बोलने वालों के साथ अंग्रेजी पहले और 1.10 अरब के साथ चीन की मंदारिन भाषा दूसरे स्थान पर है। 51.29 करोड़ और 42.2 करोड़ के साथ स्पैनिश व अरब का क्रमश: चौथा और पांचवां स्थान है। दुनियाभर की भाषाओं की जानकारी पर प्रकाशित होने वाले एथनोलाग के कुछ साल पहले आए संस्करण के मुताबिक, 28 ऐसी भाषाएं हैं, जिनके बोलने वालों की संख्या पांच करोड़ से ज्यादा है।
बढ़ रही मौजूदगी: विदेश में दो दर्जन से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं का नियमित तौर पर हिंदी में प्रकाशन हो रहा है। कई देशों में हिंदी में रेडियो व टीवी प्रोग्राम भी आते हैं। एक दर्जन से ज्यादा देशों में इस समय हिंदी भाषी लोग ठीक-ठाक संख्या में रह रहे हैं।
तकनीक की दुनिया में बढ़ा दखल: इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के साथ तकनीक की दुनिया में हिंदी का दखल बढ़ा है। माइक्रोसाफ्ट, गूगल, ओरेकल व आइबीएम जैसी बड़ी कंपनियां हिंदी का इस्तेमाल बढ़ा रही हैं। इंटरनेट की दुनिया में भी हिंदी का दबदबा लगातार बढ़ रहा है।