मीरगंज । व्हीएसआरएस संवाददाता: बरसात कम होने के बाद भी शहर के कई मोहल्लों की सड़कों पर अभी जलजमाव है। जलनिकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होना इसका मुख्य कारण है। शहर के वार्ड संख्या तीन का प्रज्ञा नगर, साधनापुरी, रजिस्ट्री कचहरी आदि मोहल्ले में जलजमाव की समस्या बरकरार है।
हालांकि कई मोहल्ले में जलनिकासी के बाद नगर प्रशासन की ओर से ब्लीचिग का छिड़काव किया गया है। लोगों का कहना है कि पहले शहर का पानी सरल ढंग से बाहर निकल जाया करता था। लेकिन, अब मुश्किल हो गया। जिन खाली जगहों में पानी बहता था, आज वहां आबादी बस गई है। नतीजा यह है कि पानी शहर में ही रह जाता है। शहर के कई वार्डों में बड़ी-बड़ी इमारत खड़ी हो गई हैं।जिससे पानी निकास अवरुद्ध हो गया है।
यहीं हाल साधनापूरी मोहल्ले की है जहां जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से लोगों को बराबर परेशानी उठानी पड़ रही है| जानकारों की माने तो नालों की सफाई भर से समस्या का निदान संभव नहीं है। बल्कि, शहर से पानी निकल कर कहां जाएगा, इसका पुख्ता प्रबंध करना होगा। तभी जल-जमाव की समस्या से निजात मिल सकता है।
अतिक्रमित है नाला : शहर का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा है, जहां का नाला अतिक्रमित नहीं है। इसे अतिक्रमित करने वालों में हर तबके के लोग शामिल हैं। अमीर हो या गरीब जिसे जहां मौका मिला उसने अपने आवास के सामने नालों को समेट लिया। कई जगहों का हाल तो ऐसा हो गया है कि नाला की सफाई के दौरान कुदाल तक नहीं डाला जा सकता है।
कई घरों व दुकानों के सामने नालों को ढंक दिया गया है। लोग उसके ऊपर दुकान चलाते हैं। कई ने नाले पर घर बना लिया है। यही कारण है कि कई नालों का अस्तित्व खत्म हो गया है। जानकारों की मानें तो आबादी बढ़ने के बावजूद अगर पुराने नालों को अतिक्रमण मुक्त करा लिया जाए तो समस्या का निदान आसानी से हो जाएगा।
नहीं उठाया जाता निकाला गया कचरा : छोटे-छोटे नालों की सफाई तो ऐसे भगवान भरोसे ही होती है। अगर माह में एक बार या दो बार हो भी जाए तो सिर्फ खानापूरी की जाती है। कचरा को निकालकर सड़क किनारे में रख दिया जाता है। लेकिन, उसका उठाव नहीं हो पाता है। नतीजा, यह होता है कि कचरा पुन: नाला में चला जाता है। हर नाला कीचड़ से भरा हुआ है। पर इसकी सफाई दिन देखकर ही की जाती है। प्रावधानों के अनुसार सड़क का निर्माण नाला के साथ होना है। पर एजेंसी बिना इस बात का ख्याल किए सड़क का निर्माण कर रही है।
यह जल निकासी में कारगर होगा या नहीं ? इसकी परवाह किसी को नहीं है। लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी जल जमाव से शहरवासियों को दो चार होना होता है। शहर को जल जमाव से मुक्ति दिलाने को लेकर नगर परिषद की ओर से सालाना लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। नालों की स्थिति देखने के उपरांत खर्च की गई राशि पर हर जानकार सोचने पर मजबूर हो जाते है|
क्या कहते है ईओ : इस बारे मे मीरगंज नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी श्री अजीत कुमार शर्मा ने बताया कि शहर में जलजमाव वाले क्षेत्र को चिन्हित कर जल निकासी की व्यवस्था की जा रही है| नालों की उड़ाही करने का निर्देश दिया गया है| जल्द ही समस्या से निजात मिल जाएगा|