डेंगू के लक्षण:
- अचानक तेज बुखार होना
- सिर में आगे की ओर तेज दर्द होना
- मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द
- जी घबराना, चक्कर आना
- त्वचा में लाल निशान होना
मीरगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: मीरगंज शहर में कुछ वर्षो में डेंगू के मरीजों में बेतहासा वृद्धि हुई है जो नगर प्रशासन के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग की चिंता को भी बढ़ाया है।पिछले तीन सालों में डेंगू मच्छर पूरे मीरगंज शहर में तांडव मचा चुका है।वर्ष 2019 में शहर में डेंगू का प्रकोप इतना तेजी से हुआ कि करीब साढ़े चार सौ लोग इसकी चपेट में आ गए, जबकि तीन लोगों की मौत हो गई। इस साल डेंगू से निपटने की कोई तैयारी अभी नहीं की गई है।
यहां बता दें कि शहर में पांच साल पहले तक डेंगू का इक्का-दुक्का मामला ही दर्ज होता था, लेकिन वर्ष 2019 में डेंगू के संदिग्ध मामले सामने आना शुरू हुए और तीन लोगों में इसकी पुष्टि हुई। उस समय लोगों में डेंगू को लेकर कोई डर नहीं था। स्वास्थ्य विभाग ने भी विशेष तौर पर कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया था। वर्ष 2019 में पहली बार शहर में डेंगू का आतंक देखने को मिला।
शहर के दो, तीन पांच,नौ, दस, बारह व सोलह आदि वार्डों में सैकड़ों लोग डेंगू के लक्षण लेकर अस्पतालों में पहुंचाना शुरू हो गए। समय पर जांच की रिपोर्ट न आने से लोगों में दहशत फैल गया। सैकड़ों संदिग्ध मरीज इलाज के लिए गोरखपुर व पटना में पहुंच गए। सिर्फ मीरगंज व हथुआ के अस्पतालों में समुचित इलाज नहीं होने से लोगों में अफरा तफरी मच गई थी|
सरकारी अस्पतालों में ही करीब हजारों की संख्या में लोग जांच करवाने के लिए पहुंचे। साढ़े चार से अधिक मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। तीन लोगों की जान भी चली गई। उस समय हालात यह थे कि अस्पतालों में प्लेटलेट्स की कमी हो गई थी। उसके बाद लगातार चलाए गए अभियानों में डेंगू के मामलों में कमी तो आई, लेकिन अभी भी लोगों में दहशत देखने को मिलती है।
तीन महीने रहता हैं डेंगू का आतंक:
मीरगंज शहर में जुलाई से सितंबर तक डेंगू का आतंक रहता है। शहर में हुए एक सर्वे के अनुसार इन तीन महीनों में ही 75 फीसदी से अधिक मामले दर्ज होते हैं। शहर के वार्ड संख्या दो, तीन, नौ, दस, सोलह आदि वार्ड सबसे अधिक प्रभावित रहते हैं। डेंगू से
डेंगू से बचाव के लिए चला था अभियान :
मीरगंज के कार्यपालक पदाधिकारी का कहना है कि मीरगंज शहर में डेंगू से बचाव के लिए अभियान चलाया गया है। इस महीने के अंत तक सभी वार्डो में फॉगिंग अभियान पूरा कर दिया जाएगा। इससे डेंगू फैलने की आशंका नहीं रहेगी।इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग को भी जागरूकता अभियान चलाने के लिए लिखा गया है।
खोखला साबित हो रहा प्रशासन का दावा:
शहर वासियों का कहना है कि डेंगू से बचाव के लिए पर्याप्त मात्रा में फॉगिंग मशीन और केमिकल उपलब्ध नहीं है, जिससे हालात और बिगड़ जाते हैं| वर्तमान में नगर परिषद के पास महज दो फागिंग मशीन उपलब्ध है| शहर के कुल 16 वार्डो में फागिंग करानी है, लेकिन फॉगिंग की गति काफी ही धीमी है| जिससे शहरवासियों में काफी आक्रोश है|
डेंगू के मरीजों की जांच की नहीं है व्यवस्था :
मीरगंज में सरकारी स्तर पर डेंगू की जांच की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है| जिससे लोगों को प्राइवेट लैब में जांच कराना पड़ता है| मीरगंज में एक एडिशलन पीएचसी है जिसमें संसाधनों की कमी मौजूद है| हालांकि हर बार अस्पताल प्रशासन का दावा रहता है कि अस्पताल में जांच कीट व अन्य दवाएं उपलब्ध है| लेकिन हकीकत कुछ और ही होता है| हथुआ एसडीओ अनिल कुमार रमण ने बताया कि डेंगू को लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है| दवा और जांच की पूरी तैयारी की गई है| अब तक डेंगू के एक भी मामले सामने नहीं आए है|
क्या है डेंगू रोग:
डेंगू बुखार एडिस नामक मच्छर द्वारा फैलने वाले वायरस के कारण होता है| आमतौर पर शुरुआत में बुखार जैसे प्रकट होता है| लेकिन कई बार आपकी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है| डेंगू बुखार के समुचित इलाज से ठीक हो जाता है| डेंगू फैलने का कारण मच्छर है, जिसके काटने पर उनके लार के द्वारा वायरस शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है| एडिस मच्छर साफ पानी में पनपते हैं| जैसे पानी टंकी, कूलर, फेंके गए रबर टायर इत्यादि| इसलिए इन चीजों को साफ रखें|
ऐसे करें डेंगू से बचाव:
अगर आपको पांच दिन से ज्यादा बुखार आए तो तुरंत चेकअप करा कर डॉक्टर से संपर्क करें| बुखार या फिर जो जोड़ों में दर्द है तो आप पारासिटामोल खा सकते हैं| किनएस्प्रिन आइब्यूप्रोफेन नहीं लेनी चाहिए क्योंकि इसे ब्लीडिंग का खतरा हो सकता है| डेंगू मच्छर हमेशा ठहरे हुए पानी में पनपता है| इसलिए कूलर, रुका हुआ पानी या फिर आसपास मौजूद नालियों को साफ रखें| रोजाना एक छोटा गिलास बकरी के दूध का सेवन करें| इससे आपके शरीर में प्लेटलेट्स की मात्रा में बढ़ोत्तरी होगी|