- शहर की आबादी – 40 हजार लगभग
- मेडिकल कचरा है सबसे खतरनाक
- खुले में डंप होने से बढ़ रहा है प्रदूषण
मीरगंज |व्हीएसआरएस संवाददाता: मीरगंज शहर से प्रतिदिन भारी मात्रा में निकलने वाले कचरे का अव्यवस्थित संग्रहण से प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। शहर से निकला कचरा सड़क किनारे ही डंप किया जा रहा है। जिससे प्रदूषण व गंदगी फैल रही है। कचरे निस्तारण की कोई कारगर व्यवस्था अब तक नहीं की गई है। जिससे शहर वासियों की मुश्किलें बढ़ी है। एमएसडब्ल्यू प्लान 2000 के तहत गीला व सूखा कचरा को अलग रखने की व्यवस्था नगर परिषद ने शुरू की है। लेकिन शहर वासियों की लापरवाही के कारण यह अमल में नहीं लायी जा सकी।
ठोस कचरा निस्तारण प्लान के तहत तीन साल पूर्व एक योजना ली गई थी जिसके तहत ठोस कचरा को शहर से बाहर डंपिग कराने का प्रस्ताव था। इसको लेकर लगभग डेढ़ एकड़ जमीन भी चिन्हित कर ली गई। हथुआ प्रखंड के महैचा में जमीन को चिन्हित करने के बाद अंचल कार्यालय से एनओसी भी प्राप्त हो चुकी है। लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी नहीं मिलने के कारण यह योजना फाइलों में अटक गई है।
शहर से करीब 5-7 टन कचरा सिर्फ इधर से उधर किया जा रहा है। मतलब एक स्थान से हटाकर उसे शहर के दूसरे स्थान पर डंप करा देते हैं। वर्तमान में रेलवे ढाला के पास के गड्डे में कचरे डंप हो रहे हैं। निस्तारण न होने से वायु प्रदूषण एवं मिट्टी प्रदूषण फैल रहा है। कचरा डंप करने के लिए शहर से दूर जमीन अधिग्रहित नहीं की जा सकी है। जिससे यह समस्या बढ़ी है।
शहर की आबादी करीब 40 हजार है। जहां से प्रतिदिन करीब 5-7 टन कचरा पैदा होता है। शहर में 16 वार्ड है जिसमें पांच वार्डों से सबसे अधिक कचरा निकलता है। यह इलाका घनी आबादी वाला है।
इस बारे मे डॉ शिशर कुमार का कहना है कि कचरा प्रबंधन न होने से शहर में प्रदूषण की समस्या बनी है। इससे वायुमंडल के ओजोन परत का नुकसान पहुंच रहा है। अन्य पारिस्थितिक असंतुलन पैदा हो रहा है।
वही मीरगंज नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी अजीत कुमार शर्मा ने बताया की अभी कचरा प्रबंधन एवं प्रोसेस प्लांट नहीं लगाए जा सके हैं। यह योजना प्रस्तावित है। कचरा डंप कराने के लिए खाली जमीन मिली है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी मिलने के बाद जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया की जाएगी है।