19वीं सदी में अंग्रेजों ने लोहे की रॉड से बनाया था पुल आज ध्वस्त
फुलवरिया| व्हीएसआरएस संवाददाता: फुलवरिया भोरे व कटेया प्रखंड के सीमावर्ती व लाइफ लाईन ब्रिटिश कालीन लोहे की रॉड से बना पुल दर्जनों जगह टूट जाने के कारण आवागमन बाधित हो गया हैं. इसकी सूचना पर शुक्रवार को सीओ श्यामसुंदर राय व श्रीपुर ओपी अध्यक्ष नागेंद्र सहनी ने चार पहिया वाहन के लिए दीवाल जोड़कर आवागमन बाधित करा दिया. पुल किसी भी समय झरही नदी में समा जाएगा.
इसके पूर्व में भी प्रखंड प्रशासन द्वारा भारी वाहन के परिचालन पर रोक लगा दी गई थी. इसके लिए पुल के पास एक बोर्ड भी लगाया गया था. लेकिन इसके बावजूद भी पुल के रास्ते भारी वाहनों का परिचालन किया जाता था. यहाँ बता दें की, आज हम भले ही चांद पर जाने की बात करते हों, लेकिन यह भी एक हकीकत है. आज भी जिंदगी की गाड़ी ब्रिटीशकालीन पुल के सहारे ही गुजरती है. यह एक बात है कि ऐसे पुल ब्रिटीश काल की याद दिलाते हों, लेकिन आम लोगों की जिंदगी का क्या. सरकारें बदलीं, सांसद भी बदले. लेकिन अगर कुछ नहीं बदली, तो फुलवरिया भोरे व कटेया प्रखंड के सीमावर्ती स्थित श्रीपुर के लोगों की तकदीर. दर्जनों बार स्थानीय लोगों ने श्रीपुर में स्थित ब्रिटीशकालीन पुल निर्माण के लिए धरना प्रदर्शन पर बैठे, पर आज तक किसी ने नहीं सुनी. श्रीपुर में झरही नदी पर बने इस पुल की कहानी भी अजीब है.
कहा जाता है कि जब अंग्रेज श्रीपुर कोठी पर रहते थे. उस झरही नदी के उस पार बसे कटेया और भोरे प्रखंडों में जाने का कोई रास्ता नहीं था. जिसे लेकर 19वीं सदी में झरही नदी पर लोहे का एक बड़ा पुल निर्माण कराया गया था. अंग्रेज तो वर्ष 1947 में ही चले गये. लेकिन ये पुल आज भी लोगों के आवागमन का साधन बना रहा. जो समय से मरम्मती नहीं होने के कारण आज क्षतिग्रस्त हो गया है.
कब कोई बड़ी दुर्घटना हो जाये यह कोइ नहीं जानता. आज यह पुल भोरे, कटेया, पंचदेवरी और फुलवरिया के लोगों के लिए लाईफ लाईन है. लेकिन लाइफ लाईन वाले इस पुल की लाईफ समाप्त हो चुकी है. आज यह ब्रिटिश कालीन पुल किसी बड़े हादसे का आमंत्रण दे रहा है. स्थानीय लोगों ने कहा कि ना जाने यह पुल निर्माण कराने के लिए सरकार कितनी गहरी नींद में सोई हुई है।