- अपने खाना का आधा हिस्सा पशुओं को खिलाते
गोपालगंज।व्हीएसआरएस संवाददाता: गोपालगंज के सदर प्रखण्ड के भितभेरवा ग़ांव निवासी एक रिटायर्ड फौजी पिछले कई वर्षों से बेजुबान पशु -पक्षियों का सहारा बन कर उससे आगाढ़ प्रेम करते है। साथ ही अपने पेंशन का आधा हिस्सा बेजुबानों पर खर्च कर एक मिसाल पेश कर रहे है। बेजुबान पशु पक्षियों के प्रति प्रेम देख कर उन्हें हर कोई तारीफ करता है।दरअसल कहा जाता है कि यह मतलबी दुनिया है लेकिन इस मतलबी दुनिया मे आज भी कुछ ऐसे बिरले है जो बिना किसी स्वार्थ के मददगार बनते है। कुछ ऐसे भी लोग है जो पशु पक्षियों से आगाढ़ प्रेम कर पशु पक्षीयों को अपने घर के सदस्यों की तरह इनकी फिक्र करते हैं।
इन्ही लोगो मे एक और नाम जुड़ जाता सदर प्रखंड के भितभेरवा गांव निवासी सेवानिवृत्त फौजी हरि सिंह की हैं। हरि सिंह जितना प्रेम अपने बच्चों और परिवार से करते है उतना पशु और पक्षियों से भी है। नौकरी के दौरान शुरू किए गए इस कार्य को अवकाश ग्रहण करने के बाद भी या यूं कहें गार्ड के नौकरी करते हुए भी बखूबी निभा रहे हैं।भितभेरवा गांव निवासी स्व उदित नारायण सिंह के 62 वर्षीय बेटा हरि सिंह के साथ 1974 में घटी घटना ने उन्हें विचलित कर दिया और उसके बाद उनका ध्यान उन बेजुबान पशु-पक्षी की तरफ गया, जिनकी चिंता बहुत कम लोग ही करते हैं। उसी दिन उन्होंने संकल्प लिया की बेजुबानो की सेवा करना उनका कर्त्तव्य होगा। और उनका लगाव पशु पक्षियों की ओर लग गया। देश की सेवा के लिए 1982 में पारा मिलिट्री फोर्स में शामिल हुए। फौज में रहते हुए पशु-पक्षियों की सेवा में मनोयोग से जुटे गए।
झारखंड के धनवाद से नौकरी शुरू की और वर्ष 2017 में दिल्ली सीआईएसएफ पारा मिलीट्री से रिटायर हुए। रिटायर होने के बाद घर पर भी उनकी यह सेवा चलती रही है।रिटायर हुए तो महाप्रण को और मजबूती दी। गुजारे के लिए मिलने वाली पेंशन की आधी पशु पक्षियों के भोजन में खर्च करने लगे,और यह सिलसिला आज भी जारी है।62 वर्षीय हरि सिंह बताते हैं की 20 वर्ष के उम्र में शुरू किया नेक कार्य नौकरी के बाद भी चलती रही है।
7 दिसंबर 2022 को उन्होंने सदर अस्पताल में बतौर गार्ड की नौकरी पर तैनात हो गए यहां भी इनका नेक कार्य छूटा नही और ड्यूटी के दौरान भी बेजुबान कुत्तों को बिस्किट खिलाकर उन्हें प्यार करते हुए नजर आ जाते है। हरि सिंह के तीन बेटे है दो बेटा एयरफोर्स मे बतौर सर्जेन्ट है जबकि तीसरा बेटा जिले के डीएवी स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत है। हरि सिंह द्वारा किये गए इस कार्य मे पत्नी पासपती समेत परिवार का भरपूर सहयोग मिलता है। आज तक किसी ने भी उनके द्वारा किये गए इए कार्य पर प्रश्नचिन्ह नही लगाया। हरि सिह बीते दिनों के बारे बताते हुए कहते है कि जब वे 20 वर्ष के लगभग थे तो उन्होंने एक बार मिट खरीदने गए।
वहां पहुंच कर जब एक बकरे को काटा जा रहा था उसके बगल में दूसरा बकरा भयभीत होकर देख रहा था उसके आँखों से आंसू गिर रहे थे। जिसे देख कर मैं सहन नही कर सका और उसी दिन से बेजुबानो के प्रति प्रेम बढ़ने लगी। इसके बाद मांस खाना छोड़ कर शाकाहारी बन गया नौकरी लगने के बाद ड्यूटी के दौरान भी पशु पक्षियो को अपने खाना में से आधा खाना पशु पक्षियो को खिलाने लगा इसके बाद तनख्वाह की आधे पैसे बेजुबानो पर खर्च करने लगा। और आज भी ये परिपाटी जारी है।
उनका कहना है कि इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने मन की आवाज सुननी चाहिए और प्रकृति के लिए कुछ न कुछ जरूर करना चाहिए। प्रत्येक नागरिक को भी सभी जीवों के प्रति करुणा रखनी चाहिए। इंसान से भी ज्यादा समझदार ये बेजुबान होते है। सदर अस्पताल में रोजाना कुत्तों को बिस्किट खिलाना इनकी दिनचार्या है यही कारण है कि आस पास के कुत्ते इनके प्रेम को समझ गए है। इनके हाथ मे रखे डंडे से भी कुत्ते नही डरते है