मीरगंज।व्हीएसआरएस संवाददाता: मीरगंज नगर में बढ़ते डेंगू के मरीजों के के मामलों के बीच स्थानीय प्रशासन अब शहर में कार्यरत स्वयंसेवी संगठनों का मदद लेने का फैसला किया है और इन समूहों ने शहर मे सहर्ष नगर प्रशासन को अपनी सेवाएं देना शुरू भी कर दिया है। शनिवार से शहर के विभिन्न मोहल्लों और वार्डों में इन स्वयंसेवी संगठनों के नेतृत्व में नगर परिषद के कर्मियों ने मच्छर निरोधक अभियान शुरू भी कर दिया है।
इस दौरान शहर के दक्षिण मोहल्ला ,स्टेशन रोड, हरखौली, पूरब मोहल्ला आदि जगहों पर व्यापक फागिंग और ब्लीचिंग का काम किया गया। इसके पूर्व में नगर प्रशासन ने शहर के औघड़ दानी न्यास समिति, साईं सेवा समिति ,लायंस क्लब, मीरगंज नवयुवक समिति, मुस्लिम वेलफेयर कमिटी और महादेव श्री राम सेवा समिति की सदस्यों को आमंत्रित किया और भीम के खिलाफ लड़ने में उनसे अपना सहयोग मांगा। इस दौरान समाजसेवी सरोज कुमार रिंकू, विनोदजी व्यास, राजेश गुप्ता, ज्योति भूषण, प्रफुल्ल विशाल चंद्र, आफरोज आदि मौजूद थे।
डेंगू के मामले अत्याधिक क्यों ?
मीरगंज में बड़ी संख्या में डेंगू से पीड़ित मरीजों के मिलने के बाद यह चर्चा भी चल रही है कि आखिरकार सिर्फ मीरगंज में ही मामले क्यों ज्यादा मिल रहे हैं जबकि इसके आसपास के हथुआ ,गोपालगंज और सिवान तक में इतने मामले नहीं देखे गए। इस बारे में बुद्धिजीवियों की अलग-अलग राय मिल रही है।
एक तरफ डॉक्टरों का कहना है कि समस्या के जड़ में नालो गलियों और विभिन्न जगहों पर जलजमाव है जिसमें मच्छरों के पनपने का भरपूर अवसर मिल रहा है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ गौरीशंकर प्रसाद का कहना है कि शहर के ड्रेनेज सिस्टम तथा जलजमाव को रोकने को लेकर विशेष कार्य करने की जरूरत है वही डॉक्टर जी के श्रीवास्तव का मानना है कि डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में लगातार विशेष अभियान चलाकर जड़ से इस रोग को समाप्त करने के लिए नगर प्रशासन को विशेष योजना बनाना चाहिए। बुद्धिजीवी सरोज कुमार रिंकू का मानना है कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में फैले जलकुंभी भी डेंगू के मच्छरों के वाहक साबित हो सकते है।
जलकुंभी वाले जगहों पर मिल रहे हैं डेंगू के मरीज:
यह एक बात गौर करने वाली है कि शहर के उन क्षेत्रों में जहां तालाब का पानी गंदा है और बहुत आयात में जलकुंभी हैं उस क्षेत्र में डेंगू से प्रभावित मरीजों की संख्या काफी देगी की गई है। शहर के स्टेशन रोड पर एक निजी तालाब में जलकुंभी का सैलाब है और वहां पर सबसे पहले और सबसे ज्यादा संख्या में मरीज देखने को मिल रहे हैं। हालांकि वैज्ञानिक तौर से प्रमाणित तौर पर जलकुंभी और इस रोग में संबंध जोड़ना रिसर्च के बाद ही संभव है पर जलकुंभी के हटाने से यदि इस रोग को रोकने में मदद मिलती है तो फिर प्रशासन को इस पर पहल करने की मांग शहरवासियों ने की है।
एहतियाती कदम उठाए जा रहे: ईओ
नगर कार्यपालक पदाधिकारी डॉ अजीत कुमार शर्मा ने बताया कि शहर में युद्ध स्तर पर फॉगिंग तथा अन्य मच्छर निरोधी कार्य कराया जा रहा है और जल्दी ही इस पर काबू पा लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जलकुंभी वाले जगहों को हटाने का अभियान भी शुरू किया जाएगा। साथ ही उन्होंने एक बार फिर शहरवासियों से अपील की है कि वे डेंगू से जुड़े निरोधात्मक उपायों पर गंभीरता से अमल करें।