मांझागढ़ । व्हीएसआरएस संवाददाता: प्रखण्ड के दियारा क्षेत्रों में बाढ़ का पानी कम होने के बाद गंडक नदी का कटाव जारी है । गंडक के कटाव से सैकड़ो एकड़ खेत नदी में समा गए । इन खेतों में दियारा के किसानों द्वारा तरबूज , कद्दू आदि की खेती की जाती थी । यहां उगाए गए तरबूज व कद्दू देश के कई राज्यों में भेजे जाते हैं ।
इधर कटाव के बाद किसानों की आमदनी का स्त्रोत बन्द हो जाएगा । ज्ञात हो कि निमुइयाँ पंचायत पूर्णतः बाढ़ प्रभावित है । यहां संखवा टोंक गांव के समीप से गंडक नदी का बहाव होता है जिसमें बरसात के मौसम में व बाल्मीकिनगर बराज से पानी छोड़े जाने के कारण जलस्तर काफी बढ़ जाता है व आसपास के गांवों में बाढ़ की स्थिति उतपन्न हो जाती है ।
हालांकि कुछ दिनों बाद पानी कम होने से राहत भी मिलती है । लेकिन इस बार पानी कम होने के बाद कटाव तेज हो गया है । जल संसाधन विभाग द्वारा चलाये जा रहे कटाव निरोधी कार्य से भी कोई असर नहीं पड़ रहा है । लोगों का कहना है कि कटाव की गति तेज हो जाने के बाद अब तक करीब ढाई किलोमीटर से अधिक की भूमि गंडक नदी में समा गई है ।
वहीं एक किलोमीटर की दूरी पर संखवा टोंक।गांव है जो गंडक नदी में विलय के कगार पर है । वहीं अब तक करीब 2 सौ एकड़ से अधिक खेत गंडक में समाहित हो जाने से तरबूज व कद्दू की खेती पर व्यापक असर पड़ेगा । किसान प्रमोद साहनी , उपेंद्र साहनी आदि ने बताया कि अब तो किसानों के पास कोई चारा नहीं है रोजगार का एक साधन था जो छीन गया है । गंडक ने उन्हें तबाह कर दिया है ।
किसान पूर्व से ही कोरोना से तबाह थे अब गंडक ने उन्हें इस हाल में कर दिया है । उन्हें बच्चों के पालन पोषण के लिए भी पैसा नहीं है । सरकार की ओर से अब तक किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिल रही है । लोगों में निराशा का माहौल है । वे सरकार के साथ अपनी किस्मत को कोस रहे हैं ।