मीरगंज| व्हीएसआरएस संवाददाता: लगातार दूसरे साल मीरगंज में विश्वव्यापी महामारी कोरोना संक्रमण के चलते मोहर्रम में सड़कें वीरान रही। शहर के विभिन्न अखाड़ों में भी लोगों की कमी दिखी और सन्नाटा छाया रहा।वहीं लोगों ने घर में ही रहकर कर्बला के शहीदों को याद किया। मीरगंज नगर के सभी आंखडा समितियों ने अपने-अपने मुहल्लों में जिक्रे हुसैन किया साथ ही इस मौके पर संबंधित समितियों के द्वारा लंगर चलाई गई और शर्बत तथा नींबू- पानी से लोगों के गले तर किए गए। इसमे युवाओं ने बढ़-चढ़ कर सहयोग किया ।
इंसानियत के लिए इमाम हुसैन ने दी थी शहादत।
मानवता की खातिर लड़ी गई जंग में हजरत इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ शहादत दी थी। भूखे और प्यासे रहकर उन्होंने जंग लड़ी। यही कारण है कि शहादत पर लोगों को शर्बत पिलाने का खास महत्व है। मुस्लिम वेलफेयर कमिटि ने बताया कि मुहर्रम हक और सच्चाई के लिए जान न्यौछावर कर देने की जिंदा मिसाल है। मुहर्रम के दसवें दिन को हजरत हुसैन की शहादत के रूप में याद करते हुए लोगों ने उन्हें खिराजे अकीकत पेश की है। जिसमे फ़िरोज खान, सफ़दर अली, वासीम खान, शहाबुद्दीन आलम, मोसिन खान, शेर अली आदि लोगो उपस्थित थे।