पटना(व्हीएसआरएस न्यूज) नीतीश कुमार को औपचारिक रूप से अपना नेता चुनने के लिए रविवार,15 नवंबर को दोपहर साढ़े 12 बजे एनडीए विधायक दल की संयुक्त बैठक होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर शुक्रवार को बिहार में एनडीए के चार घटक दलों- जदयू, भाजपा, हम और वीआईपी के नेताओं की एक बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक के बाद नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा कि एनडीए विधायक दल की बैठक 15 नवम्बर को साढ़े 12 बजे होगी। इस बैठक में आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श होगा। माना जा रहा है कि 15 को होने वाली बैठक में बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर भी फैसला किया जाएगा।
सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा के सबसे अधिक 74 सीटों पर जीत दर्ज करने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित भगवा दल के वरिष्ठ नेताओं ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाए जाने पर जोर दिया है। चुनाव प्रक्रिया के शुरू होने से काफी पहले उन्होंने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का सत्तारूढ़ गठबंधन का उम्मीदवार घोषित कर दिया था।
बता दें कि गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि उनकी कोई व्यक्तिगत चाहत नहीं है। उनका कोई दावा भी नहीं है, लेकिन एनडीए कोई फैसला लेता है तो हम उसके साथ हैं। मुख्यमंत्री पर फैसला एनडीए विधायक दल की बैठक में होगा। यह बैठक कब होगी, इसपर भी जल्द ही निर्णय होगा। 16 नवम्बर को शपथ ग्रहण समारोह के कयासों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी यह तय नहीं है। जदयू को कम संख्या पर सरकार चलाने में कोई दिक्कत होगी, इस सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा कि हमलोग पहली बार सरकार में आए तो 88 विधायक के साथ। दूसरी बार 115 विधायक लेकर आए और 2015 में 101 लड़कर 71 जीते।
कांग्रेस के लोग भी नीतीश सरकार को सहयोग दें : जीतन राम मांझी
पूर्व मुख्यमंत्री और हम अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि कांग्रेस के लोग विचार करें और नीतीश कुमार को सरकार बनाने में सहयोग दें। कांग्रेस के लोगों को नीतीश कुमार पर विश्वास जताते हुए उनके साथ आना चाहिए। क्योंकि उनकी जो नीति है, उससे नीतीश कुमार बहुत दूर नहीं हैं। नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार चल रही है और आगे भी चलेगी। मांझी ने कहा कि बहुत से ऐसे मुद्दे जो राज्य हित में नहीं है, उन्हें नीतीश कुमार ने नकारा है।
महागठबंधन टूटने से हुआ घाटा
मांझी ने मीडिया से बातचीत में राजद पर टिकट बेचने का भी आरोप लगाया है। कहा कि इस पर बहुत पहले से प्रश्न उठाता आ रहा हूं। स्व. रघुवंश प्रसाद ने भी यह आरोप लगाया था। कहा कि महागठबंधन से हम,रालोसपा और वीआईपी हटा,इसका घाटा उन्हें हुआ। हमने कहा था कि महागठबंधन में समन्वय समिति बने और फिर कोई निर्णय लिया जाये। पर,राजद ने हमारे सुझाव को नहीं माना।